अब
प्रेम
का
नाम
मत
लेना....!-
born on 14 may
साहित्य जीवन मर्म
साहित्य जीवन कर्म
#बहता_आकाश_भ... read more
हृदय से हृदय की
कहानी हुई है
मीरा कृष्ण की
दीवानी हुई है
नूपुर की ध्वनि से
रिझाये ये सबको
दिखाकर चितवन
मधुर फसाए ये सबको
उसी रंग में रंगी मेरी
प्यारी सी दीदी
मुबारक हो आपको
यह शुभ दिन दीदी
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हम वहीं पर खड़े तुमको मिल जाएंगे
जाओगे जिस जगह तुम मुझे छोड़ कर
प्रेम तो है अलौकिक तेरा और मेरा
मुड़ के आवाज देना ठहर जाएंगे
हर तरफ चंद्रिका स्वेत चादर बनी
मुस्कुराने लगी है प्रभा की किरण
बनके जुगनू निशा में चमक जाएंगे
मुड़ के आवाज देना ठहर जाएंगे
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सुदिनम सुदिनम जन्मदीनं तव
भवतु मंगलं जन्मदीनं
चिरंजीव कुरु किर्तीवर्धनं
चिरंजीव कुरु पुण्यावर्धनं
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जिसके रहमों करम पर दुनिया को पलते देखा है।
एक माखन के लोंदे पर उसे मचलते देखा है।।-
मास आश्विन द्वितीय तिथि,
कृष्ण पक्ष पखवार।
प्रकट भई तब श्याम सखी,
सब के जागे भाग।।
मन बंशी हृदय यमुना तट,
अधरन पर हरिनाम।
सरल स्वभाव वाक अति लघु है,
हृदय बसे घनश्याम।।-