Omi Anand   (✍️ Omi)
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Joined 13 May 2018


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Joined 13 May 2018
6 MAY 2022 AT 16:23

So many came and went away
I possess the solitude as I stay
Till you entered with your fortunes
Filled my life with lots of colourful tunes
The threshold can't be expressed
The way, you know, I feel blessed
A promise is alive there
I would like to share
I will never let you be my past
To fulfil this, will keep the required fast
As you aren't just my life that together will be built
But yes, Much more than what my words would wield
Nothing can be compared with this feeling
The way you have and are stealing
My heart and its every drop
To make it a frame after a perfect crop.

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30 APR 2022 AT 21:40

वो जीत ही क्या जिसमे हार नहीं
एक नही तो कई बार सही
जहा स्वेद, अश्रु और लहू न बहे,
दिल न टूटे, जगहँसाई न सहे
शिखर फतेह की क्या बात फिर
अपनो से न हुए तुम ज़ार ज़ार फिर
ज़माना मान गया तुम हार गए
गर है तुम्हे खुद पर ऐतबार सही
यक़ीनन सब तुमसे छूट गए
माना तुम लूट गए तुम टूट गए
ओर है तुम्हे मंजिल से अब भी प्यार वही
पा न सको वो पर्वत तुम,
जिसके स्वप्न में दिन रात जले हर बार तुम
सफल फिर भी तुम कहलाओगे
कोई माने या न माने
ये सच है, तुम खुद पर इठलाओगे
सब मिथ्या था, यथार्थ लक्ष्य यही,
वो जीत ही क्या जिसमे हार नही
वो जीत ही क्या जिसमे हार नही।।

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10 MAR 2022 AT 16:08

तुम याद आ रही हो,
बहुत ज्यादा,
इतना कि मानो आधा सा हो गया हूँ
हाँ-हाँ तुम्ही, जिसने बरसो बाद
मुझे सिखाया,
जिसने मुझे समझाया कि
अगर सच्ची चाहत हो न तो
बंजर रेगिस्तान में भी फूल खिल सकते हैं
आज क्यों याद आ रही हो इतना, बोलो न
इस रास्ते पे चलना तो दूर
देखना भी नही था मुझे,
पर तुमने एहसास दिलाया की
पहले इश्क़ से कई ज्यादा बढ़कर
आख़िरी इश्क़ की अहमियत होती है।
ख़ैर जो भी हो,
इस याद के फरियाद की भी
अपनी ही मालिय्यत है।
1315

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23 JAN 2022 AT 12:45

बेशक़ एक नया जीवन होगा
हाँ, फिर से तुम्हारे कुछ अपने होंगे
उन अपनों के संग कुछ सपने होंगे
नए अल्फ़ाज़, नए एहसास,
एकदम नया अंदाज़ होगा,
फिर वो पहिया घूमेगा
अकेली रातें, अधूरी बातें,
और न जाने कितनी मुलाकातें
डूबी डूबी पलकों में समा जाएगी,
याद रखना,
इस शुरुआत का भी एक अंत होगा।
इस शुरुआत का भी एक अंत होगा।।

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31 DEC 2021 AT 14:23

जो पर फ़ैलाये है न,
वो परिंदे है जनाब।
गगन की ऊँचाई से उन्हें क्या लेना
वे तो गिर-गिर कर सिखे है उड़ना

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16 DEC 2021 AT 19:53

सब कुछ लागे झूठा झूठा,
साँचा तेरा प्यार है यारा,
बीहड़ सी गर्मी में मानो
भटका जाए ये दिल आवारा
इस मंजिल की राह में,
तुझे पाने की चाह में,
अनेकों दर्द के आह में,
भटका जाए ये दिल आवारा।
भटका जाए ये दिल आवारा।।

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24 NOV 2021 AT 18:04

बात होगी यही कुछ एक दशक पुरानी
हाँ, पर याद मुझे है मुँह जुबानी।
वो सर्दी की ही शाम रही होगी।
उसका आना,
आंखे मिटकाना,
न जाने सैकड़ो बहाने बनाना
और खांट पर बैठ जाना,
माँ से ढेर सारी बाते बनाना,
निगाहें निचे से ऊपर फिराना,
फिर बड़ी जद्दोजहद से मुझ तक लाना,
थोड़ा शर्माना,
और नज़रे चुराना।
प्रिय का बंधन या एक एहसास
जो भी हो, पर वो सर्दी की ही शाम रही होगी।

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9 NOV 2021 AT 15:39

तुम शहर से थी ,मैं गाँव का,
हम दोनों और मिल भी कहा सकते थे कविताओ के सिवा❤️

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31 OCT 2021 AT 16:32

मक़सद संघर्ष है, मंज़िल नही,
हमसे है मंजिल, मंजिल से हम नही।।

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15 OCT 2021 AT 18:42

I think of you
you think of him
He thinks of her
And she thinks for me.

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