फुलेरा दूज की हार्दिक शुभकामनाएं
राधेकृष्ण की मिलन तिथि कहलाती है आज
कृष्ण ने राधे संग खेली थी फूलों की होली आज
जुड़ा था एक अनंत अटूट प्रेम का धागा आज-
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जीवनेन धने नित्यं राधाकृष्णगतिर्मम।
Joys of Krishna consciousness ... read more
क्या सौभाग्य दिया है हमारी राधा रानी ने उनका चेला मेरी बातें नहीं टालता।
मैं तो अभी भी मोह माया से घिरी हुई हूं एक के बाद एक इच्छा उत्पन्न हो जाती है,
पर क्या कहूं तेरे प्रेम का किशोरी मेरी हर इच्छा को अपना बना लेती है।
कहते है प्रेम को निभाना पड़ता है लेकिन मैं तो कुछ ऐसा करती ही नहीं,
फिर भी दिन पर दिन प्रेम गहरा ही होता चला जाता है।-
माई री, सहज जोरी प्रगट भई, जु रंग की गौर-स्याम घन-दामिनि जैसैं।
श्री राधा स्नेह बांके बिहारी के प्राकट्य उत्सव की खूब बधाई हो।
श्री कुंज बिहारी श्री हरिदस।।-
चार साल का इंतज़ार समाप्त हुआ
वृंदावन जाना मुझे नसीब हुआ
मानो मेरी सांस जैसे घूट गई थी
तृष्णा दिन पर दिन बढ़ रही थी
अंखियां पीड़ा से सहमी थी
ज़ुबान हे राधा रानी करती रहती थी
तन घर में था आत्मा ब्रज में बैठी थी
क्या भूल हो गई ऐसी मुझसे कि
बांके चितवन नहीं दिखलानी थी
हर दिन रात मैं इसी सोच में गुम थी
किस्मत को कोसती कान्हा से लड़ती थी
आंखों में आस लिए हर दिन प्रार्थना करती थी
सौ जाऊ रात्रि तो सवेरे वृंदावन में उठू
इसी चमत्कार की आस्था मैं रखती थी
बिन दर्शन मौत ना आए घड़ी घड़ी डरती थी
तेरे हृदय से लगने के लिए रोज तुझ ही से लड़ती थी
लेकिन आखिरकार आ ही गया वो दिन,
जब आंखों में पीड़ा नहीं सुरमा जाएगा
ज़ुबान पर सदा राधे राधे ही रहेगा
मन तन संग ब्रज में होगा
अब तो मंदिर में प्रेम का इज़हार होगा।।
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कार्तिक का महीना है,
एक बार प्यारी गईया को रोटी , भूसे की जगह फल तो खिलाकर देखिए कितना आनंद मिलता है।-
मेरे लिए वृंदावन जाकर आने का अर्थ तीर्थ या किसी धाम जाना नहीं है बल्कि साक्षात अपने बांके बिहारी के हृदय से गले लगकर आना है और मेरा मन, तन, बदन, हृदय गले लगने के लिए बेचैन है।
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कार्तिक का पावन महीना
आंखों में आंखें , ज़ुभा पर राधे,
कर जोड़ हाथ अश्रु लिए मैं खड़ी हूं,
श्री राधा स्नेह बांके बिहारी के द्वारे,
ज़ोर से झटका मुझे ऐसा लगा,
कि देखा तो तुलसी हार गले में मिला,
रोम रोम तरबतर मेरा महक उठा,
मेरे सावरियां सेठ सरकार ने
मेरे श्याम पिया ने आखिरकार,
पहना ही दी मुझे अमृत तुलसी माला।।-