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आता नहीं है मुझे प्यार जताना,
किसी नई बात पर लड़ लेता हूं उससे
फिर से बात करने के लिए!-
सफलता एक ऐसा "कुरुक्षेत्र" है जहां,
एक लड़ाई लड़ने के बाद "रुका" नहीं जाता..!!!
:--स्तुति-
ख़ुदा के हवाले करेंगे मोहब्बत
न भागे कहीं तो चलेंगे मोहब्बत
गुज़ारिश मेरी उनसे पूछे बहुत कुछ
वो अंदर मेरे कब भरेंगे मोहब्बत
न उनका हुआ फिर न होना किसी का
जिये हैं बहुत अब मरेंगे मोहब्बत
निगाहों ने उनकी चुराना सिखाया
कहीं और जाकर धरेंगे मोहब्बत
वो क़ातिल समझते हैं मुझको अभी भी
जो ख़ंजर सी सबकी सहेंगे मोहब्बत
लो 'आरिफ़' ही पागल हुआ उनकी ख़ातिर
क्या हारे हुए भी लड़ेंगे मोहब्बत-
मोहब्बत जताना आता नहीं मुझे,
बस लड़ लेता हूं उससे, उसे मनाने के लिए!-
गुस्ताखी मुआफ़,
मगर,
एक बात कहनी है खुदा !
कि तेरे इस जहां में,
बाकी सब ठीक,
मगर,
लड़ाई अधिकार पाने की कम,
अधिकार जमाने की जियादा है !-
गहराई सचमुच भयानक होती है चाहे वह किसी गड्ढे की हो या फिर किसी पुरानी यादों की..
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जब लड़ाई शोर से हो
चुप रहो
क्योंकि तुम्हारे विरोध का एक शब्द भी इज़ाफ़ा है शोर में
मत करो शोर कि यही है उसका विरोध।-
ज़रा सी अनबन ने एक अच्छे ख़ासे प्रेममई रिश्ते को तबाह कर दिया।
मैंने इबादत मानकर किया था इश्क़ उससे, उसने इसे गुनाह कर दिया।
अच्छी तरह से जानकर के किया था प्यार मैंने उसने अंज़ाम बदल दिया।
इस इश्क़ के फ़िराक में बर्बाद हो गया था मैं, मेरा काम तमाम कर दिया।
अगर वो चाहता तो मुझे एक और मौक़ा दे सकता था लेकिन नहीं दिया।
उसने इश्क़ की दहलीज़ पर लाकर मुझे सर-ए-आम रुसवा कर दिया।
शागिर्द थे हम उसके वो हमारा उस्ताद था, शागिर्दगी का ये सिला दिया।
दिल में अपने उसका आशियाना बनाया था मैंने, उसने दिल दुखा दिया।
उसकी हँसी की सदा दुआएँ करता रहता था मैं, उसने मुझे ही रुला दिया।
उसके सिवा कोई नहीं था मेरा उसने मुझे छोड़कर औरों को अपना लिया।
उसकी चाहत में मैं दुनिया भुलाए बैठा था, उसने मुझको ही भुला दिया।
उसकी यादों के सिवा कुछ न था पास मेरे, मैंने अपना सब कुछ गँवा दिया।
मैंने इश्क़ को लाखों बार बुलाया "अभि" पर उसको सुनाई नहीं दिया।
उसके सामने नीलाम हो गया इश्क़ मेरा, पर उसको दिखाई नहीं दिया।-