ज़िंदगी #सड़क की तरह है, यह कभी भी #सीधी नहीं होती, कुछ दूर बाद #मोड़ अवश्य आता है, इसलिए #धैर्य के साथ चलते रहिए, आपकी ज़िंदगी का #सुखद_मोड़ आपका इंतज़ार कर रहा है..!!
एक ऐसी पूजा... जिसमें कोई पंडित पुजारी नहीं होता, जिसमें देवता प्रत्यक्ष हैं... जिसमें डूबते सूर्य को भी पूजते हैं... जिसमें वृत्ति जाति समुदाय से परे हैं... जिसमें सिर्फ लोकगीत गाते हैं... जिसमें पकवान भी घर में बनते हैं... जिसमें घाट अर्थात पूजा स्थल पर कोई ऊंच-नीच नहीं होता है... जिसमें प्रसाद अमीर गरीब सब श्रद्धा से ग्रहण करते हैं...
ऐसे सामाजिक सौहार्द सद्भाव शांति समृद्धि और सादगी के महापर्व छठ की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएं।
जिनका कोई अर्थ नहीं है, उन पर क़लम चलाना छोड़ें... जो चर्चा को दूषित कर दें, उन सबको समझाना छोड़ें... हमें ओस के कण चुन-चुनकर, अपने सपने सच करने हैं... अपनी ओस बचाना सीखें, उनके पेड़ हिलाना छोड़ें!!