Prakash Thacker   (Prakash Dhiravani)
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Journalist (Divya Bhaskar)
Joined 23 June 2021


Journalist (Divya Bhaskar)
Joined 23 June 2021
8 JUL 2022 AT 10:34

દેશ વિદેશના બજારોમાં રૂપિયાની કિંમત ઘટતી જાય છે. આમ છતાં જેની પાસે રૂપિયા આવે એની સમાજમાં કિંમત વધી જાય છે. રૂપિયા જેવા થવાય, જેથી જેની પાસે હોઈએ કમસેકમ એની કિંમત તો વધી જાય.
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दुनिया के बाजार में रुपये की कीमतों में गिरावट आती हैं फिर भी जिसके पास रुपया आता हैं उसकी समाज में कीमत बढ़ जाती हैं। इसलिए रुपए जैसा बनोगे तो कम-से-कम आप जिसके पास रहोगे उसकी तो कीमत बढ़ जाएगी!

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10 AUG 2021 AT 22:18

નીકળ્યા'તા આમ તો બેઆબરૂ થૈ,
તોય પાછી એ ગલીની આરજૂ થૈ !

એમના ખ્યાલે લવારા બહુ કર્યાં મેં,
એક પણ ના વાત એની રૂબરૂ થૈ !

જીભ કાઢી, મોઢું મચકોડ્યું અચાનક,
કોણ જાણે આંખથી શું ગુફતગૂ થૈ!

કામ મારૂં યાર દોસ્તોને પડ્યું જ્યાં,
તુજ ગલીમાં સનમ મારી જુસ્તજૂ થૈ !

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9 JUL 2021 AT 11:13

जो व्यक्ति कोई न कोई प्रवृत्ति में नहीं रहता
या काम में ही ध्यान केंद्रित नहीं करता
उसके दिमाग में कोई न कोई विचार आता रहता है
फिर वो उस पर व्यर्थ में
इतना सोचता है, इतना सोचता है
कि अंत में नकारात्मकता आ जाती है
छोटी छोटी बातों को बड़ा रूप दे देता है
जो उसके और उससे जुड़े लोगों के
दुःख का कारण बन जाता है
इसीलिए दिमाग के अंकुश में ना रहे
दिमाग को अंकुश में रखे
उसके लिए कोई न कोई काम में रहें

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2 OCT 2021 AT 10:17

जैसे computer के hardware और software update होते रहते हैं और computer लगातार बेहतर से बेहतर होता ही जाता है। बस उसी तरह मानव संस्कृति सभ्यता से लगातार update होती ही जाती है और इसमें हर मनुष्य को योगदान देना है । जो मनुष्य ऐसा नहीं करता और शरीर के लिए भौतिक सुख सुविधाओं में लिपटा रहता है। उसका मानव जीवन बेकार जाता है।

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30 SEP 2021 AT 12:08

Politicians के बारे में भी
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व्यक्ति यह या वो नहीं चाहता।
व्यक्ति विस्तार चाहता है।
एक मंजिल मिल जाए तो दुसरी, दुसरी मिल जाए तो तीसरी... अंत ही नहीं... ऐसा व्यक्ति तृप्त नहीं होता। जो तृप्त नहीं होता वह दुसरो को शांति नहीं दे सकता। भीतर से वो विकृति को पालता रहता है और दुसरो को दुखी करता रहता है। बस, सारी समस्याओं की जड़ वहीं हो जाता है। उसे समस्याओं के हल के लिए कैसे नियुक्त किया जाएं?

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13 SEP 2021 AT 11:13

जब कोई गुजराती व्यक्ति हिंदी भाषा में बोलता है और उसमें गुजराती शब्द शामिल होते हैं, तो उसे मजाक बना दिया जाता है। लेकिन, ऐसा कौन सा राज्य है जहां शुद्ध हिंदी बोली जाती है? ओरो को छोड़ो, गुजरातियों में भी हिंदी को अशुद्ध तभी माना जाता है जब गुजराती भाषा के शब्द हिंदी भाषा में दिखाई दें?! अंग्रेजी, उर्दू या अन्य भाषाओं के शब्द आ जाए तो अशुद्ध हिंदी नहीं मानते ! यह कैसी मानसिकता है?!

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7 SEP 2021 AT 23:59

क्या धर्म से ईश्वर को पाया जा सकता है? हां। पाया जा सकता है। क्या ईश्वर को उसी रूप में पाया जा सकता है जिस रूप में हमने उसकी कल्पना की है? हां। उसी रूप में पाया जा सकता है । क्योंकि, भगवान महान हैं। वह हेतु देखता है। लेकिन, यह जरूरी नहीं है कि हमने उसकी जिस रूप में कल्पना की है, उसी रूप में वो हो। वो महान है और हम उसके आगे बहुत ही छोटे हैं। वो हमारे तर्क से परे हैं।

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5 SEP 2021 AT 13:37

जब स्त्री जाति बिना किसी भय के पुरुष जाति के साथ निर्दोष मित्रता रख सकेंगी और समाज भी स्त्री का पुरुष के साथ दोस्ती के अच्छे संबंध को एक निश्चित दृष्टिकोण से देखने की विकृत मानसिकता त्याग देगा, तभी एक सच्चे सभ्य समाज का निर्माण होगा।

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3 SEP 2021 AT 11:33

सर झुकाना अच्छा
मंदिर और मस्जिद
दोनों जगहें,
क्या पता
ईश्वर वही हो
और वही अल्लाह निकले।

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31 AUG 2021 AT 10:52

- कर्म से कोई बच नहीं सकता
- धर्म हर कर्म में सभ्यता के गुण को प्राथमिकता देने पर जोर देता है
- फल की प्रक्रिया कर्म के साथ ही शुरू हो जाती है और कर्म के साथ ही खत्म हो जाती है, जो मनुष्य देख नहीं सकता और धीरज के अभाव से कर्म करना ही छोड़ देता है । कर्म छूटते ही फल भी छूट जाता है।
- भाग्य ओर कुछ नहीं, सिर्फ एक लक्ष्य प्राप्ति में हजारों के प्रयास में किसी एक का सफल और बाकी लोगों के लिए विफल कर्म का परिणाम मात्र है।

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