Niru ⚛️ 25 MAY 2020 AT 17:35 जनता हूँ तू दूर गयी है मुझसे हमेशा के लिए मगर पता नहीं क्यूँ तू मेरे पास लगती है ।।तेरे जाने के बाद सनम ये ज़िन्दगी मेरी बेरंग , बेमतलब और बकवास लगती है ।।अरे सोचता तो हूँ खुदको बर्बाद करदूँ मगर रुक जाता हूँ ...मोहब्बत जो ठहरी तुम तेरे आने का पता नहीं क्यों मुझको अब भी आस लगती है ।। - Dr. A. K. SINGH 20 JAN 2020 AT 1:41 इस जहां में,कुछ जगह ऐसी हैं,जहां,आग माचिस से नहीं.....,हमारी इन्ट्री से लगती है।😜 - Ajay Kumar Prajapati 22 JUL 2020 AT 23:07 आँखों मे ना नींद है ,ना कोई ख्वाबये रात बोझिल सी क्यूँ लगती है ?करवटें बदल कर भी देखी हर जगह काँटो सी क्यूँ लगती है ?उसे भी कोई जाकर देखो किसो गयी या वो भी जागी सी लगती है ।।मतलब है कि ये रात तन्हाई में हैटूटे आशिकों की बात समझती है ।। - Manishaa M 7 SEP 2018 AT 8:12 बेकरारी में भी करार मिलता है मंजिल के रास्तों से भी प्यार होता हैं - Neha S 7 SEP 2018 AT 9:45 हर वो बेकरारी भी उदास लगने लगती है,जब सफ़र में मंज़िल नहीं मिलती है..... - Ashish mohanty 28 JUN 2020 AT 0:00 बिछड़ के तुम से ज़िंदगी सज़ा लगती है, यह साँस भी जैसे मुझ से ख़फ़ा लगती है, तड़प उठता हूँ दर्द के मारे, ज़ख्मों को जब तेरे शहर की हवा लगती है, अगर उम्मीद-ए-वफ़ा करूँ तो किस से करूँ, मुझ को तो मेरी ज़िंदगी भी बेवफ़ा लगती है... - तन्हा मुसाफ़िर 3 JUL 2020 AT 10:55 शिकायते देखो कौन करते है हमसे..ज़िन्दगी में जिनके जीने के उसूल नही। - ✍️..संतोष (राजा) 12 MAR 2020 AT 11:13 उदासी का मंज़र और यादें तुम्हारी,मौत का ख़ंजर और बातें तुम्हारी। - Deepti Aggarwal 8 SEP 2018 AT 17:13 मंज़िल सामने हो के भी अप्राप्य हो जायेऐसी बेबसी में जान जाने लगती है - Amit Bhatore 7 SEP 2018 AT 1:06 बेकरारी भी बेकार लगने लगती हैजब मंजिल करीब आने लगती है -