तन्हा मुसाफ़िर   (सिर्फ तुम)
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वक्त ने सीखा दिया है मुझे तन्हा हर दर्द सहना,
तुम गर कभी तन्हा महसूस करो तो याद कर लेना।
Joined 7 April 2019


वक्त ने सीखा दिया है मुझे तन्हा हर दर्द सहना,
तुम गर कभी तन्हा महसूस करो तो याद कर लेना।
Joined 7 April 2019

बड़ी मुद्दत बाद लौटा हूं शहर से में,
अब मंजिल से ज्यादा सफर से यारी।

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यूं तो भरोसा करना छोड़ चुका हूं मैं उस खुदा पर,
जब बात तेरी हो अक्सर चला जाता हूं दर उसके।

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तुझसे कुछ नही हाथो में तेरा ये हाथ चाहिए था
जिस्म क्या कभी मांगा बस तेरा साथ चाहिए था,
तुझे क्या पता कितनी मौत मरते ये यहां आशिक
तुझे तो सिर्फ खिलौना करने को बात चाहिए था।

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एक रोज भुला दूंगा उसकी यादों को मयखाने में,
जाने कितने मयखाने ये ही सोचकर उसने बदले।


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बेरहम जाने क्यों इतना बनता है ये खुदा मेरा,
खुशियां छीन के मेरी फिर उसे परेशान करता है।

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खुशियों से दोस्ती कर भी कैसे लूं मैं भला,
गमों से मेरा रिश्ता बहुत पहले से रहा है।

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बड़ी शिद्दत से रोका था खुदको मयखाने के रास्तों से,
पर यादों को याद रखने का सबक सिखाती है शराब।

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आंखों का पानी इस बारिश में धुल सा जाता है अक्सर,
कौन जानता है यहां किसी के दर्द की दास्तान क्या है।


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ख्वाबों के महल में रहने सिर्फ ख्वाब आते है।



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जिक्र एक बेवफा और सितमगर का था
आपका ऐसी बातों से क्या वास्ता,
आप तो बेवफा और सितमगर नही
आप ने किस लिए मुंह उधर कर लिया।
U.N.F.A.K

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