बड़ा गुरूर था खुद पर
एक गलती ने तोड़ दिया
बड़ा यकीन था उस पर
उस लड़की ने छोड़ दिया-
लखनवी अंदाज का कोई हो तो बताए,,
वाराणसी पान सा कोई हो तो बताए,,
प्रयागराज की जमीन सा पावन माटी हो जिसका,,
गोरखपुर धाम का कोई हो तो बताए,,-
अरे मियां होगी दिल्ली दिल वालों की,
हमारे 'लखनऊ' में इश्क़ की तालीम दी जाती है।-
तुम नवोदय के x_navodayan कहे जाने वाले हो,मैं विद्या मन्दिर का पूर्व छात्र कहे जाने वाला लड़का हूं।
तुम लखनवी बास्केट चाट खाकर बतासे का पानी मांगने वाले हो,मैं मोमोज के साथ extra चटनी मांगने वाला लड़का हूं।।
तुम लखनऊ university के luian कहे जाने वाले हो,मैं DDCP का Cadet कहे जाने वाला लड़का हूं।
तुम अम्बेडकर पार्क में घूमने वाले हो,मैं गांधी पार्क में भी gym के लिए ही जाने वाला लड़का हूं।
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कोई कह दो लखनऊ की इन सुर्ख हवाओं से,
बादलों में छाई इन भयावह काली घटाओं से,
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कि अपने मिज़ाज में थोड़ी सी तो नर्मी लाए,
हम इंसानों को बेवजह इतना तो न सताएं,
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जुर्म किया हो हमने कोई तो वो हमे बताए,
पर यूं बेवजह तो हमे हर पल न सताए,
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हर गली हर मोहल्ले में एक मातम सा छाया है,
न जाने ये मौत का कौनसा नया दौर आया है,
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कोई परेशान है इस बेईमान मौसम के मार से,
तो कोई घुट रहा हर पल कोरोना के वार से,
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दुआ करो यारों कि जल्द ही कोरोना की हार हो,
और फिर मौसम में प्यारी सी इक नई बहार हो।
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अधूरा किस्सा लिख कर पन्ने मोड़ आया हूँ।
खुद का एक टुकड़ा लखनऊ छोड़ आया हूँ।-
सारे जहां में मेरे शहर-ए-यार की तहज़ीब मशहूर है
ये अलग बात कि मेरा महबूब अपने हुस्न में मगरुर है-