Akhilesh Rathour Poetry   (अखिलेश राठौर लखनवी)
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Official Writer
Yq hastag #अखिलेशराठौरलखनवी
Whatsapp:-9120975880
Joined 6 May 2018


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23 APR 2021 AT 11:28

कौन सी की थी तुमने जो बात सही नहीं
साथी पुराने साथ है मगर वो बात रही नहीं

यें खुला आसमा वीरान लगता है मुझे
तेरे दिल के पिंजरे सी बात कहीं नहीं

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23 APR 2021 AT 11:09

मैंने माँगा था तुम्हे दिन से
मैंने माँगा था तुम्हे रात से
मैंने माँगा था तुम्हे सूरज से
मैंने माँगा था तुम्हे चाँद से

मैंने माँगा था तुम्हे बागों से
मैंने माँगा था तुम्हे फूलों से
मैंने माँगा था तुम्हें आसमा से
मैंने माँगा था तुम्हे जमीं से

मैंने माँगा था तुम्हे हवाओं से
मैंने माँगा था तुम्हे खुश्बूओं से
मैंने माँगा था तुम्हे रेत से
मैंने माँगा था तुम्हे परछाई से

मैंने माँगा था तुम्हे तारों से
मैंने माँगा था तुम्हे जुगनूओं से
मैंने माँगा था तुम्हे दर्द से
मैंने माँगा था तुम्हे सर्द से

मैंने माँगा था तुम्हे रब से
मैंने माँगा था तुम्हे खुदा से
मैंने माँगा था तुम्हे तितलियों से
मैंने माँगा था तुम्हे पत्तियों से

मैंने माँगा था तुम्हे दिल से
मैंने माँगा था तुम्हें जहाँ से
मैंने माँगा था तुम्हें इश्क़ से
मैंने माँगा था तुम्हें राम से
फिर तुम क्यों किसी और को बिन मांगे मिल गयी

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15 APR 2021 AT 22:11

कौन बचा है अपना शहर में, रोकर एक बच्चा बताना भूल गया,
लौट ना पाया परिंदा भी वापस, चितायें देख आशियाना भूल गया,

इस तरह से फैला है जहर हवाओं में,
मेरा लखनऊ मुस्कुराना भूल गया
😐

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7 JAN 2021 AT 20:06

तुम दिल में बसने लगे हो सायद
खुदा से फरियाद करने लगे हो सायद

बहोत दिनों से नहीं सुनी सिसकियाँ तुम्हारी
तुम भी खुदपर हसने लगे हो सायद

बदनामियों का डर भी तुम्हें नहीं रहा अब तो
हमारी बातें करने लगे हो सायद

रुक रुक कर चलती है धड़कने हमारी
कोई सस्ता नशा करने लगे हो सायद

आंखे लाल मिलती है आजकल हमारी
खुदपर वार करने लगे हो सायद

नाम लेते ही चली जाती है हिचकियां अब तो
तुम दिल से याद करने लगे हो सायद

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19 NOV 2020 AT 22:45

इस भाईदूज मैंने कोई मिठाई नहीं खायी

कई बहने है मेरी मगर किसी को इस भाई की याद तक नहीं आयी

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5 OCT 2020 AT 23:01

किसी से ज्यादा छीनने की कोशिश ना किया करो

रब जितना भी दे राजी ख़ुशी लिया करो

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5 APR 2019 AT 18:12

बड़ा गुरूर था खुद पर
एक गलती ने तोड़ दिया

बड़ा यकीन था उस पर
उस लड़की ने छोड़ दिया

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30 MAY 2021 AT 15:16

जिसे हारकर भी हारने को दिल ना करें

उसे जीतकर भी तन्हा छोड़ आया हूँ

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11 MAY 2021 AT 23:11

ख्वाब टूट जातें है

मंजिलों का मतलब नहीं बचता
जब अपनों के साथ छूट जातें है

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5 MAY 2021 AT 10:53

जहाँ तुम नहीं






जो तुझ तक ना जाये

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