दर्द ये दिल का छिपाना पड़ा है....
रोकर भी हर पल मुस्कुराना पड़ा है😅-
तेरे करम की बारिश मे खुदा भीगना चाहता हूँ
अपने सारे गुनाह की तौबा कर रोना चाहता हूँ
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रुदन में कितना उल्लास, कितनी शांति, कितना बल है। जो कभी एकांत में बैठकर, किसी की स्मृति में, किसी के वियोग में, सिसक-सिसक और बिलख-बिलख नहीं रोया, वह जीवन के ऐसे सुख से वंचित है, जिस पर सैकड़ों हँसिया न्योछावर हैं। उस मीठी वेदना का आनंद उन्हीं से पूछो, जिन्होंने यह सौभाग्य प्राप्त किया है।
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सुनो,..
मेरी कब्र में खड़े होकर रोना मत.. मैं वहां नहीं..
मैं तुम्हारी हर इक कविताओं में मिलुंगी..-
आज फिर लोट आये मेरा बचपन खोया।
आज चाहते हैं हम फिर खुल कर के रोना।-
शब्दों की आग को हम बुझने ना देंगे,
इन प्यारी सी आंखों में आंसू हम आने ना देंगे!!-
यादों को संभाला था
लौटोगे तुम...
वहम ये पाला था
यादों की चिता जली,
ना आया पर लौटकर कोई
खामोशी मेरी अकेली बैठकर रोई-