Neelima Sharrma   (नीलिमा)
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मैं अपनी favourite हूँ, आप मुझे पढ़ना चाहो ना चाहो,लिखती रहूँगी।
Joined 16 December 2016


मैं अपनी favourite हूँ, आप मुझे पढ़ना चाहो ना चाहो,लिखती रहूँगी।
Joined 16 December 2016
4 OCT AT 8:48

Before you argue with someone ask yourself,
"is this person mentally mature enough to grasp the concept of different perspective?" if not there is no point to argue.
Choose peace over winning a arguement ।

- (unknown)

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19 SEP AT 8:51

1)जैसे मलाई पनीर में मलाई खोजना
2) जैसे बारिश में गर्म चाय या भुट्टा मिलना
3) जैसे exam में नया पायलट पेन मिलना
4)जैसे उदासी में कोई बेनामी खत मिलना
5)जैसे मम्मी से डांट के बाद खाना मिलना
6) जैसे पापा से चलतेचलते गुलाबी नोट मिलना
7) जैसे सहेली के प्रेमी का तुम्हें भी पुकारना
8) जैसे दोस्त की प्रेमिका की बहन से मिलना
9) जैसे दोस्त की शादी में नए कपड़े मिलना
10) तुमसे मिलना जैसे खुद से मिलना


तुम्हारा मिलना जैसे रूह को सुकून मिलना

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19 SEP AT 8:43

1)अगर आपका कोई चाचा विधायक है।
2)अगर आप चापलूसी करना जानते हैं।
3)अगर आप जानते है कि आपका काम कौन कैसे कहाँ तक करवा सकता है।
4)अगर आप emotional fool नहीं हैं।
5) अगर आपके बाप दादा नाना आपके लिए अकूत सम्पति छोड़ गए हैं।
6) अगर ज्ञानी ना होकर भी खुद को ज्ञानी मानते हो।
7) अगर आप किसी से भी भिड़ने की कुव्वत रखते हों।
8) अगर आपके पास समय की कमी नहीं है ।
9) अगर आप सोशल मीडिया पर सुपर ऐक्टिव हैं। सबसे महत्त्वपूर्ण पॉइन्ट
10 आप यह सब ना पढ़कर अपने लक्ष्य को जानते है और मेहनत से घबराते नहीं है।
:D

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17 SEP AT 18:05

The unexpected collaboration this year

Dussehra - 2nd October

Gandhi Jayanti - 2nd October

Ek ko Ram ne mara

Dusre ko Nathuram ne mara

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16 SEP AT 21:54

बारिशें, जो कभी सम्मोहित करती थीं ।बूंदों की टपटप, बादलों की पकड़पकड़ी का खेल, पहाड़ों पर बिखरी हरियाली।
पहाड़ पर बारिशें अब डरावनी लगने लगी हैं। कारण यह है कि हमने प्रकृति के उस संतुलन से छेड़छाड़ की है, जिसे पहाड़ अपनी नाजुक देह में सँजोए रहते हैं।
आज हर कोई पहाड़ घूमने जाना चाहता है, लेकिन केवल उसके सौंदर्य को देखने नहीं,बल्कि वहाँ वही सारी सुविधाएँ भी चाहता है जो मैदानी शहरों में मिलती हैं। चौड़ी सड़कें, भव्य होटल, झीलों और नदियों के किनारे रेस्टोरेंट, और यहाँ तक कि पहाड़ की हर ढलान पर “सेल्फ़ी प्वाइंट”।
इस पर्यटन की लालसा ने जंगलों का कटान, अतिक्रमण और असंतुलित निर्माण बढ़ा दिया। नतीजा यह है कि पहाड़ अब अपनी सहनशक्ति खो रहे हैं। थोड़ी-सी अतिवृष्टि भी प्रलय का रूप ले लेती है।
बारिश का सम्मोहन आतंक में बदल गया है। केदारनाथ में रोती प्रकृति देवी का रुदन जब किसी ने नहीं सुना तो वह देहरादून तक उतर आयी है। अब तो सुन लो लोगों :<( ।कहीं ऐसा दिन ना आजाये कि रुष्ट प्रकृति देवी का गुस्सा शहरों पर भी उतरने लगे।

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13 SEP AT 16:26

It will be book cafetaria
Food for mind and body

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13 SEP AT 16:25

My Instagram

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13 SEP AT 14:00

स्त्री जवानी में परिवार से अलग रहने पर ज़ोर देती हैं और वृद्धावस्था में परिवार को साथ रहने का दबाव बनाती है।

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10 SEP AT 2:04

I know, everything happens for a reason, but sometimes I wish, I knew what that reason was.

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9 SEP AT 17:45

बांग्लादेश के बाद नेपाल…दोनों के प्रधान मंत्री जान बचाकर भागे हैं । यह खतरनाक है, युवा विद्रोहियों ने नेपाल की संसद में आग लगा दी है । श्रीलंका को भूला नहीं जा सकता । पाकिस्तान में सेना कभी भी सत्ता को पलट देती है । जिन्हें यह आग देखकर खुशी मिल रही है , वह जान लें यह क्रांति नहीं अराजकता है । पहले सिर्फ़ नेता करते थे इन्हें देख लग रहा लोक ही लोकतंत्र की हत्या कर रहा है । ख़तरनाक दौर है यह अतिवादिता का । विदेशी ताकतें भी हैं जो दक्षिण एशिया को अस्थिर ही देखना चाहती ह

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