मुक़फ़्फ़ल हुआ मैं मोहब्बत में उसकी
ये दुनिया लुटा दूँ हिफ़ाज़त में उसकी
उसी से तो दिल के मरासिम जुड़े हैं
मज़ा ही मज़ा है शरारत में उसकी
वो शोला बदन है महक है शराबी
नशा ही नशा है रियासत में उसकी
वो मुशफ़िक़ वो दिलबर वही है हमारा
बड़ा दिल दुखा है ज़रूरत में उसकी
वो 'आरिफ़' की होकर रहे तो सही अब
तो दिल भी बिछा दूँ मैं राहत में उसकी-
किसी ने पूछा "सियासत" क्या होता है,
मैं बोली जनाब जब मैं "आग" लगाऊं,
तुम उसको पूरे चालाकी से "भड़काना",
पर अगर "जनता" देख रही हो
तो "उसी वक्त" तुम भी उसी "आग" में,
जनता को "बेवकूफ" बनाते हुए,
जरा सा "अपना हाथ" भी जलाना,
बस जनाब यहीं "रियासत की सियासत"
का फसाना है..!!!
:--स्तुति-
थामा हाथ उस दिन से
“रिवायत” चाहत कि मिटती नहीं
नायाब हो गए रिश्ते हैं
बढ़ती गई उस वक्त से
“रियासत” चाहत कि सिमटती नहीं
सुकून कि कब सोचते हैं
बेचैन दिल उस पल से
“रियायत” चाहत कि मिलती नहीं-
काश अगर मिलती मुझे
दो दिन की बादशाही,
कसम खुदा की तेरी तस्वीर
के सिक्के चला देते...!!-
तू क़ाबिज़ है मेरे वजूद के तख़्त पर लेकिन
रियासत में भी रियायत की रवायत होती है
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# काव्य कुसुम # गुड इवनिंग # 25-05-2020 #
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दबंगई की हिकारत देखिए ,
मुकदमों की सियासत देखिए ,
न्यू इंडिया का र्टेलर है यह -
शहंशाह की रियासत देखिए ।
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212 212 212 212
मन में मुझको सियासत नहीं चाहिए
बाँट दे वो रियासत नहीं चाहिए
बा-अदब हम रहे संग माँ-बाप के
और कुछ भी इनायत नहीं चाहिए
कर सकूं दर्द महसूस दुखियों के मैं
मुझको कोई अदावत नहीं चाहिए
बात कुछ भी हो मेरे वतन में मुझे
कोई भी हो बगावत नहीं चाहिए
ना करे फैसलें वक्त पे जो कभी
मुझको ऐसी अदालत नहीं चाहिए
संग रहना मेरे बस कृपासिंधु तुम
'ऋतु' को बिल्कुल रिआयत नहीं चाहिए
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हुक्कामो में हो गैंगवार
हलकान रियासत होती है।।
बदमाशी नेता करते हैं
बदनाम सियासत होती है।।
😢करे कोई, भरे कोई😢-