मुझसे कहा दुनिया लिखो, मैंने तेरा नाम लिख दिया।
लोग चुप हैं मैं खुश हूं, ये है मेरी जीवन क्रिया।।-
क्या अर्थ ही सबकुछ है - हां
तो फिर कुर्सी अर्थ से आकर अर्थ को ही खत्म क्यू कर देती है।-
वो मेंहदी, वो पायल की छम छम
माथे पर, बिंदी है कुम कुम
हां यादें, और यादों में हम तुम
ये समय, कटता है चाहें सुबह शाम-
परिवार वह नहीं...
परिवार वह नहीं जो तुम सोचते हो
परिवार वह नहीं जो तुम देखते हो
परिवार वह नहीं जो तुम समझते हो
परिवार वह नहीं जिसे तुम डसते हो
परिवार वह नहीं......
परिवार वह नहीं जहां रिश्ते मचलते हो
परिवार वह नहीं जहां संबंध दलते हो
परिवार वह नहीं जहां दलीलें हो
परिवार वह नहीं जहां मैं हो
परिवार वह नहीं......
परिवार वह है जो साथ चलता हो
परिवार वह है जो साथ मचलता हो
परिवार वह है जो साथ हसता हो
परिवार वह है जो साथ महकता हो
परिवार वह नहीं........-
परिवार वह नहीं...
परिवार वह नहीं जो तुम सोचते हो
परिवार वह नहीं जो तुम देखते हो
परिवार वह नहीं जो तुम समझते हो
परिवार वह नहीं जिसे तुम डसते हो
परिवार वह नहीं......
परिवार वह नहीं जहां रिश्ते मचलते हो
परिवार वह नहीं जहां संबंध दलते हो
परिवार वह नहीं जहां दलीलें हो
परिवार वह नहीं जहां मैं हो
परिवार वह नहीं......
परिवार वह है जो साथ चलता हो
परिवार वह है जो साथ मचलता हो
परिवार वह है जो साथ हसता हो
परिवार वह है जो साथ महकता हो
परिवार वह नहीं........-
जब लोग लोगों को वस्तु की तरह अपने स्वार्थ के लिए प्रयोग करते है तब लोगों वह मित्र या वंधु नही वस्तु होता हैं|
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