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सच मगर कड़वा ।
आप नही होते तो मेरे देश का मंजर कुछ और होता ।
आप नही होते तो मेरा सुभाष चंद्र बोस भागा नही फिरता ।
आप देश मे नही थे प्यारे बापू जी आप कही और थे वर्ना हमारे भगत सिंह हमारे भाई को फाँसी न दी जाती।
माफ करना मुझे आप का मान है पर मेरे हृदय में सम्मान नही।।
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हे कलाम! तुम करुणा थे
तुम तो भारत की गरिमा थे
तुम कितने मृदुल हृदय वाले
बच्चों के संग चलने वाले
मेरे इस प्यारे भारत के
तुम ही तो राष्ट्रपिता वो थे
हे कलाम! तुम करुणा थे
उस रामेश्वर की धरती पर
इक शिव का मंदिर पड़ता है
उस शिव से भी ज्यादा मुझको
तुम ऋषि तपस्वी लगते थे
हे कलाम! तुम करुणा थे
तुम कितनी जल्दी चले गए
इक अरमा मेरा छूट गया
मैं कलयुग के उस महाऋषि के
चरण नहीं बस छू पाया
दर्शन उस पुण्य आत्मा का
मैं सम्मुख से न कर पाया
पीड़ा है बस इतनी दिल में
और अश्रु नेत्र से बहते हैं
तुम करुणा थे
उस करुणा का स्पर्श नहीं मैं कर पाया
तुम गरिमा थे इस भारत की मैं चरण नहीं बस छू पाया
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हमारे राष्ट्र की आन हमारी शान वो शख्स थे महान
जिन्होंने लहराया परचम देश विदेश में
जीना सिखाया हम भारतवासियों को सम्मान से।
मज़ाक उड़ाया गया अपशब्द कहा गया,
उतारा गया रेलगाड़ी से।
विचलित न हुए जज्बा न कम हुआ,
स्नेह- प्यार मिलता रहा हर तबका हर सिम्त से।
बुलंद किया आवाज़ हक़ का,
बढ़ते रहे लड़ते रहे सितमगरों से।
हिंसा का कभी समर्थन न किया,
नाक में दम करते रहे अहिंसा रूपी अस्त्र से।
अनगिनत आंदोलन कई दफ़ा जेल गये,
एकजुटता का मिसाल लिखा नील व सत्याग्रह से।
बिन थके हारे बढ़ते रहे लाठी के सहारे,
हमें आज़ाद करा गये गुलामी की जंजीर से।
कहलाये आज़ाद राष्ट्र के राष्ट्रपिता,
जाने गये बापू, महात्मा के उपनाम से।
जग ने माना शांति व अहिंसा का पुजारी,
दुर्भाग्य राष्ट्र की गई उनकी जान आधुनिक शस्त्र से।
हमारे राष्ट्र की आन हमारी शान वो शख्स थे महान
जिन्होंने लहराया परचम देश विदेश में
जीना सिखाया हम भारतवासियों को सम्मान से।-
एक दिन इतिहास पूछेगा
कि तुमने जन्म गाँधी को दिया था,
भगत सिंह को नही बचाया
गांधी वही एक शेर था।
कुटिल सरल सहज अहिंशा वादी,
हरिजन नामक गाली देने वाला वो हमारा बापू था
एक दिन इतिहास पूछेगा
कि तुमने जन्म गाँधी को दिया था,
जिस समय दलित समाज के मशीहा अपने अधिकार मांग रहे थे,
तब आमरण अनसन करने वाला वो हमारा बापू था।
एक दिन इतिहास पूछेगा
कि तुमने जन्मग गाँधी को दिया था,-
हिँसा के इस दौर में भी, मैं अहिँसा का पक्षधार हु,
अभिमान की लड़ाई में, मैं स्वाभिमान के साथ हु,
अब ये देश वो नहीं, जो बापू की कल्पना थी,
मैं तो “गोड़से” के इस दौर में भी, “गाँधी” के साथ हु।
M.J.-
अहिंसा सत्य शांतीचा,
संदेश दिला या जगता,
स्वतंत्र केला देश माझा,
तेच महात्मा तेच राष्ट्रपिता....-
सत्य की राह पर चलना ..हर व्यक्ति के साथ मानवता का व्यवहार करना ...जहाँ तक संभव हो हिंसा से दूर रहकर अपने वाणी की मधुरता और अच्छे व्यवहार से दुशमन को भी अपना बना लेना .....
राष्ट्र पिता महात्मा गाँधी को शत-शत नमन-
गांधी जी के व्यक्तित्व से मैंने क्या सीखा?
यदि आप सफलता का स्वार्थ छोड़,
सेवा के मार्ग पर चलेंगे,
तो एक दिन आपके व्यक्तित्व तक,
एक ऐसा मार्ग जाएगा जिस पर,
सभी श्रद्धा से चलेंगे।-