आनंद का नव उत्सव आया
मृदंग, झूम ताल सब बजावत है,
वनवास की बेला समापत हुई
है राम आपका स्वागत है।
केवट की नैय्या पार लगा कर,
शबरी के झूठे बेर खुद खा कर
फिर तारो सबको, यही एक चाहत है,
है राम आपका स्वागत है।
मर्यादा की परिकाष्ठा तुम हो
सिद्धांतो के सिदार्थ तुम्हीं!
रघुनाथ के आगमन पर, गली-गली सजावट है
है राम आपका स्वागत है।
अहंकार की लंका को जला,
जन जन में आदर्श के दीप तुम्ही!
भ्राता लक्ष्मण, माँ सीता का अभिवादन है,
अवध में, श्री राम आपका स्वागत है।
M.J.
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