Mayank Jain  
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Being #भारतीय
A published writer✍
Joined 18 July 2017


Being #भारतीय
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Joined 18 July 2017
23 APR AT 20:18

तुम अगर घर से निकलकर
वापिस सुरक्षित घर पहुंच पा रहे हो!
तो
भगवान का इसे बड़ा आशीर्वाद
शायद कुछ नहीं है।

शुक्रिया किया कीजिए!

#pahalgamattack

M.J.

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12 APR AT 11:49

हम सब में हनुमान बसे
उनका वात्सल्य रूप बसे
उनका निश्चल स्वरूप बसे
आंखों में उनसा ही नूर बसे

हृदय में उन सम सबके राम बसे
सीता के प्रति उनका अभिराम बसे
नम्रता को शिरोधार्य लिए, वो वितरागी बसे
अंजनीय, पवनपुत्र, केसरीनंदन, कपिश बसे!

हम सब में वो हनुमान बसे...

M.J.

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6 APR AT 9:21

वो अनुपम एक छवि समान
सिद्धांतों के कृति विज्ञान
मर्यादा में जो सर्वश्रेष्ठ है
वहीं वितरागी राम महान...

M.J.

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5 APR AT 0:55

जब में बोल नहीं पाता
किसी से कह नहीं पाता
कुछ सह नहीं पता
अपने आप को समझ नहीं पाता
किसी को ये समझा नहीं पता
हसी में टाल नहीं पाता
क्रोध में हटा नहीं पता

तब मौन हो जाता हु...

M.J.

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1 APR AT 15:56

दिल है उसी के पास
है सांसे उसी के पास
उसे देखा देखते ही रह गया
रह गई आंखे उसी के पास..

धड़कन है उसी के पास
है ये अरमान मेरा उसी के पास
उसने छुआ मुझे, में स्तबद रह गया
रह गई आत्म मेरी उसी के पास...

गुलाब मेरा उसी के पास
है ये खुशबू मेरी उसी के पास
उसने पकड़ा हाथ इस तरह मेरा की
रह गया ये हाथ उसी के पास...

मर्यादा मेरी उसी के पास
है ये संयम मेरा उसी के पास
उसने दिल दिया कुछ इस तरह मुझे,
रह गया मेरा अनंत प्रेम उसी के पास..

M.J.

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22 MAR AT 22:53

वहीं आदि है, अंत वो
है जीवन का बसंत वो,
वहीं विभोर है, वत्स भी
वहीं वीर,धीर, महावीर भी...

वहीं समय का सार है
वह ऋषभ है, संसार है
वहीं पूर्ण है, संपूर्ण है
वहीं तरल भी, सरल है

वहीं प्रभात है, रात है
वहीं पुराण है, प्रमाण है
वहीं सार है, अभिसार है
वहीं समृद्धि भी, सिद्धि भी

वहीं तीर्थेश है, धाम है
वहीं पार्श्व भी, राम है
वहीं प्रणम्य, प्रणाम है
वहीं नाथ है, आदिनाथ है।

M.J.

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18 MAR AT 20:53

हर रात एक ख्वाब देखने के लिए
अपनेपन का एक खूबसूरत एहसास देखने के लिए
कुछ तो होगा ही हसीन ए जिदंगी में,
में जागता हु सिर्फ वो चाँद देखने के लिए..

M.J.

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16 MAR AT 12:02

उस चांद के बिना मेरी रात नहीं होती,
सुबह की कोई शुरुआत नहीं होती,
ख्वाहिश है कि चांद को दिन रात देखता रहु
ख्वाहिश है चांदनी में मदहोश खोता रहु
ख्वाहिश है में ताकता रहु उसकी खूबसूरती को
ख्वाहिश है में उसके ही ख्वाब में सोता रहूं
पर कम्बक्त सच्चाई ये है कि
की हर रात पूर्णिमा नहीं होती!

M.J.

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14 MAR AT 5:43

एक रंग ऐसा हो
जो अंतरंग को छू जाए..
कुछ तो हो रंगीन ऐसा
जो अंतर्मन को भा जाए..
बेरंग सी इस दुनिया में,
जो रंग रोगन कर दे,
हो कुछ ऐसा रंग,
जो अंग अंग को हर दे..
वो गुलाल उड़े जीवन में
जो सबसे हसीं हो,
काश एक रंग ऐसा हो
जो मेरे रग रग से रंगीन हो।

M.J.

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9 MAR AT 19:08

मुझे मोह है राधा से,
उसकी मर्यादा से
आंखों में दिखते उसके प्यार से
कृष्ण के प्रति झलकते हर भाव से
उसके अपने अपनत्व से
नटखट पन की करुणा से
वात्सल्य की असीम अरुणा से
कन्हैया में झलकती तस्वीर से
हा मुझे बहुत मोह है
उस राधा की प्रेम कहानी से.. !

M.J.

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