नभ छू रहा नगर आज साकेत,
मानो व्योम से छिटके हो पलाश।
बिछाए प्रकृति प्रकाश अपने केश,
ला रहे समेट के श्वेताश्री आकाश।।
रघुनंदन श्री राम का आंगन,
बनी भूमि समस्त जग की।
गूंजती चंहुओर कलकलाहट,
बस सुखद स्वर की।।
छोड़ दो कहीं दूर तिमिर को,
फैला दो प्रकाश............!
अब कहीं भी ना रहे कोई ह्रदय निराश .......-
14 NOV 2020 AT 11:26
18 JUL 2019 AT 17:04
हर दिन इक नई कहानी है।
आंखों में तेरे क्यों पानी है।
बीती बातों को ना याद करो,
अब गढ़नी सुबह सुहानी है।
इतिहास नया अब हम रचेंगे,
यह दिल अपना मनमानी है।
कड़ा परिश्रम किया है जिसने,
दुनिया उसकी ही दीवानी है।
रोती नहीं अब हंसती बहुत मैं,
"श्रेया" हो गई थोड़ी सयानी है।।-
11 AUG 2020 AT 8:35
राधे राधे....
जय श्री कृष्णा🚩
यशोदा मैया के लल्ला...
नन्द बाबा के कन्हैया....
दाऊ भैया के कान्हा ....
गोपियों के माखन चोर...
मेरे प्रभु...
के जन्मदिवस (जन्माष्टमी) की हार्दिक शुभकामनाए.....
जय राधे कृष्णा 🚩-
28 OCT 2019 AT 21:08
जिसके हरी हैं सारथि, निश्चय उसकी जीत,
जिस मन हरी बसें, उस मन प्रीत ही प्रीत.
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