Vandana Rai   (Vandana Rai★)
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Joined 17 July 2021


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Joined 17 July 2021
YESTERDAY AT 7:41

जन्माष्टमी सिर्फ़ श्री कृष्ण
जनोत्सव ही नहीं है,
यह हमारे बालपन का पुनर्जन्म भी है।
यह दिवस हमारी भीतर की
भक्ति का जागरण है,
यह याद दिलाता है कि
जीवन के नृत्य में,
प्रेम की ओर बढ़ने का
सबसे सुंदर निर्णय
विशुद्ध हृदय ही तय करता है।
ईश्वर से प्रेम ही
जीवन को सद्मार्ग दिखाता है।
शुभ जन्माष्टमी...

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15 AUG AT 21:17

इसके लिए हमारे देश के अमर शहीदों ने निस्वार्थ समर्पण भाव से मिलजुलकर एक यज्ञ का आह्वान करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। भारतभूमि वीरों के ऐश्वर्य से सिंचित एक ऐसी वेदी है जहां पर पग पग त्याग और बलिदान की गाथाएं हैं। आज हम अपने स्वार्थ के लिए अपने इस देश की गरिमा और आजादी के मूल्यों को अनदेखा कर रहे हैं।
आज के दिन के महत्व को समझते हुए हम सभी भारतवासियों को अपने अधिकारों और कर्तव्यों के बीच ,सर्वप्रथम देश के प्रति समर्पण की भावना को बढ़ावा देना होगा। हमारा यही प्रण देश के प्रति सच्ची भक्ति है।
जय हिन्द
जय भारत 🙏🏻

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11 AUG AT 21:44

हृदय की
विशेषता रही
प्रेम को
संजो लेना।
प्रणय और वियोग
की परिधि से परे..

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9 AUG AT 7:45

रेशम की डोर पर
अपने अन्नत स्नेह और आशीष बांधकर,
आज बहनें फिर से अपने भाईयों को
बचपन की बेफिक्री से मिलवाएंगी।
एक कच्ची डोर से बांधकर..
भाइयों का स्नेह और आशीष पाएंगी।
शुभ रक्षाबंधन 🙌🏻🌻🎉🌹

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31 JUL AT 13:11

अब सारे अधिकारों से परे, प्रार्थनाएं हैं।
ईश्वर से तुम्हारी कुशलता की याचनाएं हैं।।

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6 JUL AT 11:49

यात्राएं हमेशा
अपने पिछे छोड़ती हैं..
कुछ यादें..कुछ बातें . .
और कुछ अधुरे सपने ..!
पर. ये बांध लाती हैं
अपने साथ साथ..
कुछ यादें.. बहुत सारी बातें.
और नई आशाओं के साथ..
अपने.."अपने" !!

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3 JUL AT 17:39

तालाब में खिली
उस कुमुदिनी की तरह है,
जो अपने भीतरी गुणों के
सौंदर्य को जलमग्न रख
बाहरी कोमल सौंदर्य में ही
संसार को दिखता है ।

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3 JUL AT 17:19

अपलक तकती हैं..
खिड़कियों से..
हटती नहीं आँखें..!
ये इंतजार भी
कितना हसीन होता है!!

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28 JUN AT 12:18

जेठ की तपती दोपहरी
और कहीं सुदूर अम्बर में
ठहरा मतवाला काला बादल
छुटपुट बूंदों का उपहार लेकर...!
ठीक उसी तरह..
जीवन की दोपहरी..
और हमारी मीलों की दूरी..!
और क्षण भर समय की.
छुटपुट बूंदों सा उपहार तुम्हारा..!
उम्मीदों भरी जीवन की शाम..
और सावन सा प्यार तुम्हारा..!!

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24 JUN AT 17:01

ये प्रश्न जलाता है..
रिश्ते अगर समय के
गर्भ में ही छूट जाते...
तो ये उम्र भर की
घुटन क्यों है..?



शेष प्रश्न..
अनुशीर्षक में..

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