Vandana Rai   (Vandana Rai★)
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Joined 17 July 2021


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19 JUN AT 22:00

तू कर मोहब्बत उसे..
वो ख़ुदा है तेरा..!
पर मुझसे...
मेरे रूठने की
हुकूमत तो न छीन..!

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19 JUN AT 14:01

रचती रही हथेलियों पर
जानें कितनी बार.मगर..
रंग रूप नहीं बदला..!

मैं मेहंदी हूं !
अपने रंग की गहराई की
पहचान रखती हूं!

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10 JUN AT 12:33

अपने अश्रुओं के सागर में
संपूर्ण धरा को डुबोने की
क्षमता रखने वाली प्रेयसी को,
बौद्धिक निर्ममता ने पाषाण बना दिया।।

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7 JUN AT 14:52

पतझड़ से सावन तक का
सफर करते हैं..
हां... पेड़ भी बोलते हैं !

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22 MAY AT 15:29

प्रेम में लिखे गए प्रेम पत्र
और विग्रह के पश्चात्
लिखी गईं विरह की चिट्ठियों को
केवल प्रेमियों को ही पढ़ना चाहिए था।
पर हुआ विपरीत..
पढ़ी गईं विरह की चिट्ठियां
उनके द्वारा एकांत में
जिनके लिए नहीं थे कोई शब्द!
फिर भी....
अन्नत बार उनके....
विरह अश्रुओं द्वारा
मिटाए गए अन्नत विरह शब्दांश
जिन्हें नहीं पढ़ना था...!
और...
उसने कभी नहीं पढ़ा
जिसके लिए लिखीं गईं ये चिट्ठिया..!!

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22 MAY AT 10:46

तुम मृदुल मुग्ध मुस्कानों पर
मधुमास सृजन कर लेती हो !
बिदुलेखा में जब तुम..
प्रिय,चंद्रप्रभा सी दिखती हो !

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19 MAY AT 20:30

मेरी सूनी आँखें
प्रेम के सहस्र मंदाकिनियों
से भर जाती हैं..
जब स्वप्नों के काल्पनिक दृश्य में..
तुम होते हो मधुसूदन...!

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17 MAY AT 22:44

धैर्य के एक भी
सिरे की पकड़
मैने कमजोर नहीं छोड़ी,
संभवतः उसके
मोह का खिंचाव
मजबूत रहा होगा।

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17 MAY AT 15:34

कितना भावात्मक
पल होता होगा वह,
जब एक पुरुष स्त्री को
अपनी सारी पीड़ा,
सारी उलझने समर्पित
करते हुए उसके हृदय से
लिपट जाता होगा।
संभवतः प्रेम के..
इसी पहलू से जुड़ना
चाहती हैं स्त्रियां भी।
इसलिए तो उन्हें..
देह की आवश्यकता
नहीं होती है।
जहां दो लोग ..
भावात्मक आलिंगन में
स्त्री पुरुष होना भूलकर
एक आत्मा बन जाते हैं,
वहां देह महत्वहीन हो जाती है।

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16 MAY AT 22:50

"!! जिम्मेदारियों की लम्बी सूची में,
प्रेम का स्वर मध्यम पड़ गया होगा..
वही तो..
विस्मरण भी कब निरर्थक
होता होगा माधव..?"

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