"फ़कत कुछ पल ही
यूं निभा जाऊंगी
इश्क़ करना तुझे
मैं भी सीखा जाऊंगी..
तू मुझे याद करेगा
मेरे बाद भी जाना..
मैं रहूं न रहूं,
याद तुझे आऊंगी!"-
Not a writer by profession....but writer by passion✍️
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श्यामल संध्या के सूरज की लाली देखी.!
आँखों में रजनी की वेदना काली देखी!
ढलते ढलते दिनकर को भी खोते देखा ,
हां मैंने भी एक विरहन को रोते देखा !
चंद्र कलाओं सी बढ़ती वो पीड़ा देखी ,
अश्रु छुपाती उन अखियों की क्रीड़ा देखी।
अधरों पर मुस्कान छले जब प्रीत बावरी ,
हृदय की तड़पन थपकी देकर सोते देखा।
हां मैने भी एक विरहन को रोते देखा।।-
नव दुर्गा के समक्ष
नौ दिनों तक प्रज्वलित दीपक
हमारी श्रद्धा भक्ति का साक्ष्य ही नहीं होता अपितु यह हमारे हृदय को ज्ञान रूपी प्रकाश से प्रकाशित भी करता है। यह अखण्ड दीप अंतर्रात्मा को शुद्धता देने के लिए
हमारे भीतर की अशुद्धियों को स्वाहा भी करता है । यह निरंतर प्रज्वलित रहकर हमारे भीतर एक नवीन ऊर्जा का संचार करता है, जो माता रानी की कृपा का प्रतीक है।
महानवमी और दशहरा की अन्नत शुभकामनाएं 🙏🏻🌸
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"तुम प्रेम के विपरीत ,
मर्यादा चुनना ।
सात फेरों की रीत,
और सातों वचन चुनना।"-
प्रेम का ठहराव
यदि अपनी इच्छा से होता तो
कोई कभी ऐसा प्रेम नहीं चुनता
जिसमें वियोग ही वियोग हो..!
ये एक स्वाभाविक प्रक्रिया है
जिसे हृदय स्वतः धारण कर लेता है!!-
ऐसा नहीं
कि तुम धर्मभ्रष्ट कहलाओगे..
किसी को सकून मिल जाएगा ,
कोई चेहरा मुरझाया हुआ
फिर खिल जाएगा.!
तुम प्रत्युत्तर में
जब प्रेम दे पाओगे।-
हे कृष्ण..!
है सहस्र
स्वीकार
जग के
तिरस्कारों का
विष भी.!
प्रेम पीयूष की
अल्प बूंदें
नाथ यदि
स्वीकार कर लो!-
जब भी माथा टेका...
एक अदृश्य शक्ति के रूप में
क्षण क्षण ममतामई माँ का रूप देखा।-