Vandana Rai   (Vandana Rai★)
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Joined 17 July 2021


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Joined 17 July 2021
2 APR AT 21:21

सुनो....!
मुझे तजकर जाते हुए भी
तुम उतने ही निर्मल लगते हो
जितने प्रथम मिलन के
प्रवाह में थे......!

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31 MAR AT 7:42

रिश्तों और अंतरात्मा की पूंजी होती है।
हमारा आचरण……
हमारे व्यवहार में भी झलकता है 🙏🙏

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31 MAR AT 7:42

रिश्तों और अंतरात्मा की पूंजी होती है।
हमारा आचरण……
हमारे व्यवहार में भी झलकता है 🙏🙏

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27 MAR AT 21:22

जीवन के एक हिस्से को
छोड़ गई.....!
ज़िंदगी पाई पाई जोड़ गई..!
छूटा एक बचपन लाऊ कैसे
उस अनमोल खजाने को..
अब पाऊं कैसे,....!
तुम भी सोचते होगे ...…
जो वक्त के हाथों में था...!
वही गीत बिछड़कर.…..
गुनगुनाऊ कैसे.......!!!!

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24 MAR AT 11:03

अब न दिखती
झलक तिलक की.....!
तेरे मन की
जगी अलख की.....!
जिसको देख मन उपवन लागे
सवारियां तोरे प्रीत पलक की.....
अब ना दिखती.....
झलक...... तिलक की.....!!!!

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23 MAR AT 14:07

एक ह्रदय
और एक प्रेम...
पिया ऐसी नेह लगाऊं मैं....!
तेरे नाम की प्रीत पहन सजना..
सूरत पर वारी जाऊं मैं....!!
इस प्रेम को एक जनम छोटो
हर बार प्रिया बन आऊं मैं...!
तेरे नाम की बिंदियां सजे पिया
जब भी ये स्वांसे पाऊं मैं.…..!
फागुन आए सावन आए...
एक तेरे रंग नहाऊं मैं....!
श्यामल हो अंग रंग श्यामा...
तेरे नाम से जानी जाऊं मैं....!!!

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23 MAR AT 12:06

अश्रुपूरित नेत्रों से
गर्वित बलिदान लिखेंगे...
हे अमर बीर हम भारतवासी
शत् शत् सम्मान लिखेंगे.....🙏🏻🙏🏻

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21 MAR AT 12:38

कभी भरे भरे मन में..
सावन सी खिली खिली....
कभी मुरझाए सपने...
ज़िंदगी पतझड़ सी मिली....!!
सच ही तो है....
ज़िंदगी पेड़ जैसी है।
इसके हर मौसम में
आशाओं की कहानी बाकी है।।।।

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10 MAR AT 21:24

इस चेहरे पर
हमेशा मुस्कान
सजाए रखूं.....
वो भूल जाएं तो भी
उन्हें यादों में
बसाए रखूं......!!

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10 MAR AT 17:11

आदरणीय yq दीदी...
बीते सालों में आपने मुझे एक मंच दिया,
जहां आकर मेरी लेखनी प्रखर हुई।
मन सीखने की दिशा में आगे बढ़ा....
इसी मंच से एक साहित्यक परिवार दिया
आज आपकी प्रतिक्रिया ने मेरे लेखन को
अभिभूत किया।
ह्रदय से अभार आपका हम सब की आदरणीय दीदी 🙏🏻🙏🏻🌹🌹

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