ये वक़्त का ही तो खेल है..!
जैसे दिया और बाती में तेल है..!!
पढ़े लिखे तो पहले समझदार होते थे..!
हम तो डिग्रियों को भी लेके फेल हैं..!!
गुंडे मवालियो के लिए ही दुनिया है..!
शरीफों के लिए ही बनी जेल है..!!
सितम गर को कहां पता वक़्त के बारे में..!
मुसीबत आती है तो कहते नसीब का खेल है..!!
_📝Razi
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यहीं हूं आजकल
यहीं रहने दो;
किसी की ख्वाबों में रहूं
इतना खुशनसीब मैं कहां..-
"समझ नही आता "
मुजे के में किस हक से उनपर हक जाहिर करु ?
क्युंकि हक तो उनपे जताया जाता है ,
जो खुलकर बतादे वो मुजसे आखिर चाहते क्या है ?
लेकिन अब तो वो कुछ बताते ही नही ,
ओर मेरे भेजे हुए संदेश का जवाब देना भी,
मुनासिब नही समझते , आखिर हूई क्या खता हमसे,
जो उन्होने इतना किनारा करलिया मुजसे ,
या फिर वो कभी मेरे थे ही नही🙄, सिर्फ मेरे होने का
दावा करते थे !-
क्या सही है , और क्या ग़लत है , यही समझने में पूरी उम्र निकल जाती है ! जिस ने समझ लिया उस ने जीवन में कुछ अच्छा कर लिया ।
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मेरे एहसासों पे मत जाना दोस्त,
बस यूं समझ लो में बस ज़िंदगी लिखती हूं .... !!!-
इस बीते हुए साल में बहुत कुछ खोया है
कोई अनजाने में कोई जान बुझ कर बिछड़ा है
अब ना मिलने कि उम्मीद है ना जाने का गम
खुद में मुकम्मल होना चाहते हैं हम....!!
💕❤️-