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सुनो...वो लम्ह... read more
और फ़िर मैंने
ख़ुद को इस बात का दिलासा दिया कि
तुम्हारी कहानी में
मेरा किरदार शायद कुछ ही पन्नों का था!!!
और ये भी, कि
जब कभी तुम्हारी कहानी पढ़ी जाएगी
बीच में मेरा ज़िक्र आएगा ज़रूर......
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वह जो शब्दों में बयां नहीं हो पाता, वह दिल में अक्सर गूंजता है!
कभी-कभी, जब मन भारी होता है और विचार उलझते जाते हैं,
तो लगता है कि ये सब किसी के साथ साझा करने से थोड़ी राहत मिल जाए..
ऐसे ही किसी के कांधे पर सिर रखकर हम अपनी सारी बैचेनी,
अपने सारे दुःख और चिंता रख देना चाहते हैं !
हमें वह कांधा, जो न सिर्फ सहारा देता है,
बल्कि बिना कुछ कहे हमारे भीतर के तूफान को भी शांत कर देता है!
हम सब की ज़िंदगी में ऐसे कुछ पल आते हैं, जब हम किसी से उम्मीद करते हैं कि
वह हमारे भीतर के अंधेरे को समझे और उसे सुने..!!
ज़रूरी नहीं कि हमें उजाले की दिशा दिखाए
पर जब हमारा मन टूटने लगता है, तब हमें किसी ऐसे व्यक्ति की तलाश होती है
जो हमारी सच्चाई को बिना किसी शर्त के समझे और हमें अपने सपोर्ट से संजीवनी दे!
और यह कांधा, चाहे वह दोस्त का हो या किसी करीबी का,
हमें वही उम्मीद और सहारा देता है, जो हम खामोशी में ढूंढ़ रहे होते हैं।
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सिर्फ़ दोस्ती से यह सफ़र इतना आसान नहीं होता,
जाने कितनी माफियां लगी है यहां तक आते आते ...
You Reserved a permanent friend zone in my life 💕-
और एक सुस्ताई हुई सुबह मुस्कुराहट में बदल गई,
शुक्रिया !! नुक्कड़ पर अदरक वाली चाय के लिए,-
सुनो....थोड़ा थोड़ा रोज़ बदल रही हुं...
शायद मैं तुम्हारे हाथों से फ़ीसल रही हुं ....-
सुनो.... नुक्कड़ वाला पूछ रहा था,
मैं : क्या ??
चाय बांटने से और ज्यादा मीठी हो जाती है क्या?
और फ़िर तुमने क्या कहा ??
आधी चाय बांटने से उदासी भी आधी हो जाती है ..
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उसने कहा मैं ये उदासी बहुत देर तक साथ रखना नहीं चाहता,
मैंने कहा : चलो... आओ...नुक्कड़ की चाय पर चलते हैं-