जहां हमें साथ रहना चाहिए था
उस मन की ज़मीन पर मैंने बांधी है
स्मृतियों की हवेली,
अब उन में रहते हैं
भीतर के द्वंद....
पर मैं आश्वस्त हुं क्यों कि
प्रेम के नाम पर
यह केवल मूक शरणागति है
जहां धीरे धीरे धरा पर कम हो जाता है एक जीवन,
बढ़ती जाती है दुःखों की कविता.....
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Mishty _Miss_tea
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Joined 30 September 2018
55 MINUTES AGO
YESTERDAY AT 2:37
खिड़कियां झांकती है ख़ामोशी ...
मन को भीगने का मौका नहीं मिलता .....-
YESTERDAY AT 2:33
वो जो मैं तुम्हें अपना घर कहकर
पुकारा करती थी कभी
सुनो.......
तुम अपने घर के मालिक हो न हो
अपने मन के मालिक बने रहना....-
YESTERDAY AT 2:19
कितना परेशान कर दिया है ज़िंदगी तूने,
हंसती भी हुं तो मायूस दिखाई देती हुं मैं....
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YESTERDAY AT 0:31
तेरे ज़िक्र से ही बस आबाद ये रात है,
तेरे बिना तो सब कुछ सर्द खाक है...
और फ़िर वही दिन है वही आफ़ताब है,
तुम से ही मर्ज़ सारे, तुम से ही निज़ात है...-
20 AUG AT 21:23
चाय का एक घूँट,
और यादों का सैलाब…
दिल अचानक वहीं पहुँच जाता है,
जहाँ से लौटना मुमकिन नहीं होता.....-
20 AUG AT 16:23
इक दिन तुम अपने बच्चों को गुड्डे गुड़िया की कहानी सुनाओगे और उस कहानी के अंत में दोनों की शादी हो जाएगी... सुनो मेरी दुनियां उसी उम्मीद पर कायम है
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18 AUG AT 21:35
चाय की चुस्कियों में ढलता है आसमान,
और शाम मेरी हथेली में ठहर जाती है-