हमने प्रेम किया...
रातभर एक दुसरे से बातें की...
सपने देखें...
ढेरों कविताएं की...
कुछ वक्त बाद अचानक क्या हुआ
कविताएं चोरी हो गई,
सपने अधूरे रह गए क्यों की
नींद की आदत नहीं रही
और प्रेम...
वो करने की नहीं निभाने की बात थी....-
मेरी आखरी सांस का,
मुझे पता नहीं होगा
शायद,
नहीं बोल पाऊंगी,
हो सकता है कि...
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इक दिन
मैंने जीवन की सारी मोहब्बत इकट्ठी की
और रख दिया था वक्त के चूल्हे पर,
और कुछ नहीं
तब से अतीत एक अधपकी सी रोटी है
वास्तव में उसे निगलने में तकलीफ़ होगी
पता है निगल भी लिया जाए,
पेट में दर्द होगा
कम से कम रातभर सो नहीं पायेंगे
ये जल्दबाजी में जो पकी थी
ठीक से पकी नहीं होगी
मुझे वाकई नहीं पता था
दो लोग लगते हैं... मोहब्बत की रोटी सेंकने में...
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उफ्फ ये जो बारिश है ना....
देखो बादलों का हैं ना मन भर आया होगा..
वो चीखें होंगे
बिजली बनकर रोए होंगे,
उसने सूरज का कंधा देखा होगा
उसने चांद को भी उसका वक्त पूछा होगा
सारी रात के रातजगे उसकी आंखों में इकट्ठा हुए होंगे
कुछ तो हुआ होगा,
वो भी फिर... सीना फाड़ के रोया होगा
... ये जो बारिश हैं ना.
देखो... बादलों का हैं ना मन भर आया होगा !-
स्त्रियां प्रेम खोजती है... जैसे खोजती है सलवार सूट...अलग अलग कलर डिजाइन में... जो अपना रंग न छोड़े!!वो कतई प्रेम नहीं बदलना चाहती, ना प्रेमी बदलना चाहती है... वो प्रेम भी चाहती है तो 100 कलर में 100 डिजाइनों में...रोज़ अलग अलग तरीके से मैसेज..अलग अलग मूड को दर्शाते हुए... उनके पास गुणों की सूची होती है..उसे हर बार पैसा ही नहीं चाहिए .....वो एक पुरुष को छोड़कर दुसरे के पास अपने आप नहीं जाती..वो हर शर्त भी निभा लेगी... बस वो लड़की है ना !!! वो जो चाहेगी वो मांगेगी लेकिन 100 कलर... 100 डिजाइनों में....
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जब उसने मेरा हाथ थामा..
मेरे चहेरे पर उसने हाथ फेरे तो ख्याल आया की
उनकी हथेलियां सख्त थी,
उनके सख़्त व्यवहार की तरह...
कार चलाते हुए, कभी कुल्हाड़ी के कारण,
मेहनत से कभी धूप सेकते हुए,
कभी अपनी फ़ीस जमा कराते हुए,
कभी मेरे लिए झुमके खरीदते हुए...
मेरे लिए,अपने परिवार के लिए...
शायद इस लिए की ..
हमारी हथेलियां नर्म रह सके..
उनके हमें दिए हुए जीवन की तरह....
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माँ बाप का दर्जा
जैसे वह पृथ्वी पर के साक्षात ईश्वर हो,
या उसके अस्तित्व की कल्पना
जो महसूस हो सके...
जिनका वियोग के अश्रुओं से
जलाभिषेक किया जा सके,
मांगा जा सके पर
ईश्वर स्वयं अपने बदले उसे लौटा ना सके.....
ये वही है जो पोछते हैं हमारे अश्रु
सहलाते हैं हमारे बाल
और मान रखते हैं हमारे शब्दों का....
धूप में आंचल होती है माँएं और सड़क पर कंधा होते है पिता....कौन कहता है मैंने ईश्वर को नहीं देखा...
ईश्वर मेरे साथ रहते हैं.. मेरे घर में.. हृदय में..
बिना प्रार्थनाओं के...
बिना जलाभिषेक...
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खुशियां और अरमान बहुत है
पर पता नहीं क्यों परेशान बहुत है,
नींद आती नहीं और सोती रहती है
उसके शब्दों में फिर भी जान बहुत है,
मुझसे झगड़ने में कोई मुकाबला नहीं,
पर रखती चहेरे पर मुस्कान बहुत है,
मुश्किल से मिलती है ऐसी जहां में,
मेरे दिल में दोस्ती के निशान बहुत है-
એનાં થી તો વધુ શું વાત નું વતેસર થાય,
વરસાદ વરસે ને આંખ ભીની થઇ જાય,
પથારી પાથરીએ અને રાત પડી જાય,
હોય શબ્દો ગળે ને મૌન હોઠે બાઝી જાય,
તારી વાત નીકળે ને ધબકારા બંધ થઈ જાય,
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बचपन के खेल में शामिल थी हमारी जिंदगी
अब किसी का आश किसी का काश रह जाता है,
उस दौर_ए_हकीकत मैं मुस्कुराती हुई सुबह थी,
अब दिन निकलने से पहले दिन गुज़र जाता है,
हम कमबख्त चाहते थे जवानी के दिनों को,
इस उम्र के खेल में सीने में दर्द भर जाता है,
लोग अपनी रूह को हथेलियों में लेकर भटकते हैं...
यारों!मोहब्बत का ग़म यहां ज़िंदगी खा जाता है,-