Sandeep Vyas 14 OCT 2018 AT 0:49 रिश्तों में एक नई गिरह लगा गए हो तुमरौशनी के लिए हमको ही जला गए हो तुमतमन्नाओं का कोई अंत नहीं इस जहाँ मेंफिर भी नई कुछ तमन्नाएं जगा गए हो तुममाना कि तुमको नहीं है मोहब्बत की आरज़ूसूखी रेत को फिर क्यूँ नदी बना गए हो तुमजब रहबर ही न रहा इस सफर में अब कोईक्यों वीरान दिल में रास्ते बना गए हो तुमज़ाहिर है अब आशिकी की कीमत नही यहाँदर्दे दिल की कुछ कौड़ियाँ थमा गए हो तुम - ℝ𝕒𝕛 𝕊𝕠𝕟𝕚 19 MAY 2020 AT 8:05 आधी भूख, बोझिल मन, अधूरे ख़्वाब से दिल रो रहा है,रास्ते वो ही, रहबर वो ही, गाँव का ठिकाना ढूंढ रहा है!मायूस रुख़, दरीदा बदन, शिक़स्ता पाँव लौट रहा है,ख़त्म हो गईं ज़रूरतें शहर की, सो गाँव, गाँव लौट रहा है! - supriti sinha 19 DEC 2019 AT 20:12 तुम मेरे रहबर हो इस बात का यकीन अब कैसे हो... मेरे नातमाम तलाश को तुम कुछ तो अंजाम दो... - Arif Alvi 31 JAN 2021 AT 0:01 शहीदों को आख़िर भुलाया है हमनेकहाँ कोई रिश्ता निभाया है हमने मिटा जान अपनी दिलाई आज़ादीशहादत को उनकी सुलाया है हमने बहादुर सिपाही बनेंगे नहीं हमकहाँ कोई बीड़ा उठाया है हमने वो रहबर नहीं हैं तुम्हारी तरह अबतड़प को कहीं बेच खाया है हमने न 'आरिफ़' को होगी वो दहशत कभी भीतकब्बुर को इतना बढ़ाया है हमने - Mrbenaam 23 SEP 2020 AT 21:49 है कोई रहबर! तो हाथ थामो ता-उम्रमगर बता दें, अंधे हुए थे हम इश्क़ में - Abhishar Ganguly 26 FEB 2021 AT 19:27 तेरे ही लिए चलती हैं ये साँसें मेरी, तेरे सिवा कुछ चाहिए मुझको कहाँ।जो भी हो सफऱ मेरा मुझको तू ही चाहिए तू ही मेरा रहबर तू ही हमनवां। - आईना 5 JUL 2017 AT 16:23 कहूँ क्या मैं किस्सा तेरी रहबरी का, ऐ चाँदकई रातें रोशन की हैं, तूने ज़ख्म अपने जला कर - कोरा काग़ज़ 23 DEC 2020 AT 18:29 जिसका अर्थ होता है - सहायक, a guide - Dr.Rajnish Kumar 5 JUN 2019 AT 18:39 तेरी मंज़िल का अब, हूँ राहगीर ही नहीरास्ता खरीद लूँ, इतना अमीर ही नहीजज़्बातों के दाँव से ही मिली है शिकस्तरक़ीबों के पास कोई तदबीर ही नहीमुझसे वाबस्ता ख़्वाब तुम देखा न करोमेरे हाथों में तुम्हारी लकीर ही नहीहसरतों के वास्ते क्यों हो जाएं नीलामअख़लाक़ रहे, हो जाएं फ़कीर ही सहीगुरबत में बदला है अंदाज़ रहबर ने भीरहनुमाई में उसकी, अब तासीर ही नहीरूह को बेचकर ही जिस्म वो था हासिलकर गए वो सौदा, जिनका ज़मीर ही नहीखुदी को बेचकर हो गए रईस वो,'राज',रंग लाती है यहाँ फक़त तक़दीर ही नही - Babu Gangiya 26 FEB 2018 AT 7:33 अधेड़ हो गई परछाई, अब लाठी सहारे पेट भरा नही जातारहबर एड़िया व तलवे,पर एहसास किसी से कहाँ नही जाता -