रहने लगे हो नैनो में, काजल की तरह! (2) छा गए हो दिल पे बरखा-बादल की तरह!
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अगर तड़पना मेरे नसीब में है,
तो मुझे तड़पने दो..!!
मरहम अब ना लगाओ तुम,
मेरे घाव को ताज़ा रहने ही दो..!!-
वो इतने भी बुरे नहीं है
चलो उनके साथ चलते हैं।
दोस्त का इंतज़ार करने वाले
साथी किसी किसी को मिलते हैं।।
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कोई कहे यारा अगर तुझे अपनी जान
मेरे सिवा तो याद रख मैं
किसी को ये कहने
नहीं दूंगा ।।
तुझे खुश रखना कुड़िये मेरा पहला
प्रावधान है याद रख तेरे आंखों
-से-आसुँ मैं कभी बहने
नहीं दूंगा ।।
अरे तू किसी से भी बात कर मुझे
उससे कोई दिक्कत
नहीं लेकिन....
कोई करे बत्तमीज़ी, छेड़खानी तुझसे
तो याद रख उसे दोबारा मैं
उस लायक रहने
नहीं दूंगा ।।-
दरख़तों पर अब पहले जैसी रौनक नही होती,
घर अब घर नहीं, मकान बनने लगे हैं ज्यादा!-
सुना है!
कुछ पाने के लिए
कुछ खोना पड़ता है
ज़रा पता तो करो
उसे पाने के लिए
क्या खोना पड़ेगा-
निक्के निक्के किन्ने ख्वाब परोए सी तेरे लई,
अज हसदे आ उस गल ते
किन्ना रोए सी तेरे लई_-
तुम्हारी धड़कनों को मेरे पास रहने दो ना
मेरी सासों को तुम्हारे पास रहने दो ना
जब से तुमने अपनी निगाहों से मेरे दिल पर दस्तखत किये हैं
कुछ और नहीं तो कम से कम अपनी कलम को
मेरे पास रहने दो ना **-
सरगोशी में जाने कैसी आहट है?
दर्द-ए-दिल में आज ज़रा सी राहत है,
ज़ाहिर कर दूं तो मुश्किल हो जाएगी,
चुप रह जाऊं तो भी मुझ पर आफ़त है!
ख़ामोशी के गीत मेरे वो समझेगा,
जिसके दिल में जज़्ब रूहानी चाहत है,
लफ्ज़ भी उसके आगे घुटने टेकेंगे,
ठेस लगाना जिसकी पुरानी आदत है.!
फूल मिले या कांटे चलते जाना है,
सारे रंग दिखाती हमको क़िस्मत है,
मायूसी की मांग में अपना ख़ून भरो,
ख़ुश रहने की यारों ये भी क़ीमत है.!
ज़िंदा हो तो जीवन को महसूस करो,
सांसों के सैलाब में शामिल उल्फ़त है,
स्वतंत्र चुराकर चैन यहां बेचैनी का,
समझोगे तुम दर्द में शामिल इशरत है.!
सिद्धार्थ मिश्र
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