एक समय था
जब हम दोनों साथ थे
आज तो बिखरे पड़े हैं
उनके यादों में-
ओ मेरी रानी,मेरे दिल में है....
बस तेरी यादों का ही ताना-बाना...
अर्धरात्रि के सवप्न नगरियों से...
है अब बस तेरा ही आना जाना...-
तेरी यादों का नशा है मुझे चाय की तरह
सुबह सबसे पहले तेरी ही याद आती है-
वक़्त की बेकरारियाँ कुछ इस तरह मिली हमें
न धूप ही मिली हमें..ना छाँव ही मिली हमें
और दिल-ए-हिज़्र पर
गुज़रा कुछ ऐसा सितम
के चाहा जिसको उम्र भर
*साहेब*
उसी की मौत की खबर मिली हमें-
भीगते हैं जिस तरह से
तेरी यादों में डूब कर
इस बारिश में कहाँ वो कशिश
तेरे खयालों जैसी-
समझा दो अपनी यादों को
बिन-बुलाए आया करती है
तुम तो दूर रह कर सताती हो
मगर वो पास आके रुलाया करती है-
लौट आया हूं शायरो की बस्ती में
अब कहो दिल का दर्द सुनाऊं
या तेरी यादों की खुशबु फैलाऊ-
तेरी यादों से मांग लेता हूं चंद खुशियां ,
जिंदगी हो गई है बस रूठी सी गुड़ियां ।-
हुयी होगीं तारीफें तुम्हारी उनकी महफिल में
ज्यादा नहीं तो कम से कम उनके यारों ने खैरियत तो तुम्हारी पुछी ही होगी ।
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