बाद मुद्दतों के मुझे एक तेरा ख़त मिला है
लिए हाथों में सोचती हूँ कि अंदर क्या लिखा है
के.......
अब तेरी इश्क़ की गहराईयां कोई मायने नही रखती
मैं रूठूँ तू मनाये...…..ये रीत भी बेमानी है लगती
तेरे जाने का सबब जान कर
मुझे कोई हैरानी तो देगा नहीं
तू कहाँ है .....
किस हाल में है
अब इस दिल को बेचैन करेगा नहीं
हाँ..... ये ख़त मैं सम्भाल कर रखूंगी जरूर
कहीं तू मिला तो तेरी अमानत तुझे वापस करूँगी जरूर
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