Jyoti Pal   (एहसास)
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Certified dietitian from AIIMS new delhi
Joined 28 December 2018


Certified dietitian from AIIMS new delhi
Joined 28 December 2018
5 AUG 2022 AT 1:38

रात जब है शांत
है चारों ओर एकांत
तब है एहसास
अकेलेपन का,
मन की मायूसी का
नहीं है चेहरे पर कोई कांत
मन क्यों है शांत ?

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2 AUG 2022 AT 2:36

आज कल की मोहब्बत ...
यूं ही बदनाम नही है ये मोहब्बत
कई दिल तोड़े है इसने
दिल तक सही था
साहब कईयों के सपने तोड़े है इसने
इंतजार में रुसवाई की है
प्यार में बेबफायी की है
और जो कहते है की माशूका मेरी दिल रूबा है
उस माशूका ने भी
कइयों को छोड़ा है
वादा जो करते थे
जीने मरने की कसमें खाते थे
वो अब देख कर मुंह मोड़ते है
उफ्फ! गलती से भी निगाहें न टकरा जाएं
इसलिए वो भी काला चश्मा पहनते हैं ।
आज कल की मोहब्बत में बदनाम हुई है लड़कियां
कहीं बेबफाई की है
तो कहीं जबरन शादी हुई है
किसी को पैसे से लूटा है
तो कहीं बेचारी लड़की का भी दिल टूटा है
सुनो....
हमेशा लड़की ही बेबफा नही होती
मैंने लड़को को भी बदलते देखा है
उनको नौकरी और घर में उलझते देखा है
हां मैने भी कईयों के दिल को टूटते देखा है
आज कल की मोहब्बत में बदनाम हो गए है सब
क्या लड़का क्या लड़की परेशान हो गए हैं सब ।

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29 JUL 2022 AT 8:46

लगातार चलते रहने से मंजिल मिल जाती हैं
हौसले जब हो बुलंद तो हर बाधा मिट जाती हैं।

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29 JUL 2022 AT 8:42

Ufff.....
सोचा था कि उसके बालों से खेलेंगे
वो तो हमारे भावों से खेल कर चली गई 🙃🙃

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28 JUL 2022 AT 7:40

अंदर ही अंदर
उफ्फ! मेरे मन के अंदर
है एक गहरा समंदर
गहराई उसकी नापी नहीं जा सकती
प्यास उसकी बुझाई नहीं जा सकती
उस समंदर में है मछली हजार
जो करती है भावनाओ का व्यापार
व्यापार ऐसा जिसमें लाभ न हो
उफ्फ! जैसे कोई काम न हो
हैं आजाद रानी वो पानी की
करती काम मनमानी के
अंदर ही अंदर
उफ्फ! मेरे मन के अंदर
है एक गहरा समंदर।

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26 JUL 2022 AT 10:43

लड़- झगड़ के सही तुमसे उलझे रहना
भी इश्क है
बात ना होते हुए भी तुम्हारे ख्याल आना
भी इश्क है
दूर होते हुए पास महसूस करना
भी इश्क है
ना चाहते हुए तुम्हें चाहना
भी इश्क है

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22 JUL 2022 AT 21:49

हिसाब में जल्दबाजी
और दोस्ती में दगाबाजी
दोंनो ही बहुत खराब होती हैं जनाब। 🙂

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21 JUL 2022 AT 9:27

मैं ढूँढती हूँ इन ऑंखों में ...
ओ रात बता दे हमारे ख्वाब कहाँ हैं ?

कहाँ गए वो ख्वाब जो मैं बचपन में देखा करती थी
ख्वाब ही ख्वाब में ख्वाब के ख्वाब में
मैं इठलाया करती थी
ओ रात बता दे हमारे ख्वाब कहाँ हैं ?

बड़े हुए नींदें टूटी ख्वाब भी टूट गए
ख्वाब मुकम्मल हुए बिना लुप्त हो गए
अब बस मैं पछताया करती हूँ।
ओ रात बता दे हमारे ख्वाब कहाँ हैं ?

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20 JUL 2022 AT 9:23

सुनो...
एक मुलाकात ऐसी करनी है
जिसमें ना तुम बोलो ना मैं बोलूं
बस एक दूसरें को देखकर आहें भरनी हैं ।

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19 JUL 2022 AT 13:18

दुख दुनिया की सबसे ज्यादा व्यक्तिगत चीज है जिसे हम चाहकर भी दूसरों से साझा नहीं कर सकते ।

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