अजब तोरी दुनिया, हे मोरे रामा
क़दम-क़दम देखी भूल-भुलैयां
गज़ब तोरी दुनिया हो मोरे रामा
कोई कहे जग झूठा सपना, पानी की बुलबुलिया
हर किताब में अलग-अलग है इस दुनिया का हुलिया
सच मानो या इसको झूठी मानो
बेढब तोरी दुनिया हो मोरे रामा
परबत काटे सागर पाटे, महल बनाए हमने
पत्थर पे बगिया लहराई फूल खिलाए हमने
हो के हमारी हुई न हमारी
अलग तोरी दुनिया हो मोरे रामा
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परबत काटे, सागर पाटे, महल बनाए हमने
पत्थर पे बगिया लहराई, फूल खिलाए हमने
हो के हमारी हुई न हमारी
अलग तोरी दुनिया हो मोरे राम !-
थोड़ी सी भी कही दमक नही आती
ख़ूबसूरती भी कही झलक नही आती
मज़दूर के हाथ जब तक मैले नही होते
महलों में भी तब तक चमक नही आती-
चाय की दुकानों पर काम करने वाले
ईंट भट्ठों पर मेहनत करने वाले
गुब्बारे बेचने वाले
कचड़ा बीनने वाले
घर मे झाड़ू पोंछा लागने वाले
और न जाने
कहाँ कहाँ ज़िन्दग़ी और भूख से लड़ते
ये छोटे छोटे मासूम मज़दूर बच्चे
छोटे नहीं है
बल्कि अपने अपने घरों के बड़े लोग हैं
जो अपने घरों की ज़रुरतों को पूरा कर रहे हैं
एक सरपरस्त की तरह-
कब मज़दूर बन जाता है इंसान मजबूरियों की खातिर,
उसे ये खबर रहे तो वो इंसान क्यों रहे खुदा ना हो जाए!-
चाय की दुकानों पर काम करने वाले
ईंट भट्ठों पर मेहनत करने वाले
गुब्बारे बेचने वाले
कचड़ा बीनने वाले
घर मे झाड़ू पोंछा लागने वाले
और न जाने कहाँ कहाँ ज़िन्दग़ी और भूख से लड़ते
ये छोटे छोटे मासूम MAZDOOR बच्चे
छोटे बच्चे नहीं हैं
बल्कि अपने अपने घरों के बड़े ज़िमेदार लोग हैं
जो अपने घरों की ज़रुरतों को पूरा कर रहे हैं
एक सरपरस्त की तरह-
रोज मारता अपनी ख्वाहिशों को वो
उठा रहा बोझ जमाने भर का वो
पसीने की बूंदों से पालता अपना पेट
बेटे की खिलौने की ज़िद को रोज टालता हैं वो
अपनी जरूरतों के आगे मजबूर हैं वो
एक गुमनाम सा मज़दूर हैं वो....
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बिना उसके अकल्पनीय है संसार
न होता ताजमहल, न ही चीन की दीवार।
◆Happy Labour's Day◆
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हसरतें मज़दूर की हर रोज़ अधूरी रह जाती हैं,
घर की जरूरतों में दिहाड़ी जो पूरी हो जाती है।।-
हाँ, मैं भी एक मज़दूर हूँ
कभी रिश्ते निभाने में
कभी किश्ते चुकाने में मज़बूर हूँ,
हाँ, मैं भी एक मज़दूर हूँ
दिन ढ़ले लौट जाता हूँ
सुबह फिर ज़िम्मेदारी उठाता हूँ
कभी कभी खाली हाथ घर आता हूँ
पर अपनी ही खुद्दारी में मग़रूर हूँ,
हाँ, मैं भी एक मज़दूर हूँ,
एक दिन में क्या हमारा हौसला बढ़ाओगे
हमारी बराबरी करने में थक जाओगे
दुःख सहता हूँ, मगर हँसता हर वक़्त जरूर हूँ,
हाँ, मैं भी एक मज़दूर हूँ...-