तारो की छाव में एक नगमा मै गाउ मेरे पास हो तुम इतनी अब दूर कैसे जाउ मेरे हर ख़्वाब में अब तुम्हें ही लाउ.. तुम रुठ जाओ मुझसे,हर रोज तुम्हें मनाऊ "तुम देना साथ मेरा ओ हमनवा" हर रोज तेरे लिए मैं गाउ..
चल रही हूँ, मचल रही हूँ हाथो में उसके हाथ लिए .. हवा के जैसे उड़ रही हूँ फूलो के रंगों में तितली बनके खुद मैं ही घुल रही हूँ..... दरिया सी उसकी आँखों में एक ख़्वाब बनकर उतर रही हूँ
तुम ख़्वाब तो नहीं हो... पर मेरे ख्बावो का एक हिस्सा होने लगे हो.... मुस्कुराने लगी हु बेवजह... मेरी कहानी का एक किस्सा होने लगे हो ... बारिश की पहली बौछार सा सकून हैं तेरा साथ .... मंज़िल तक ले जाएं वो रास्ता होने लगे हो... आदत हो मेरी या चाय सी तलब होने लगे हो.... तुम ख़्वाब तो नहीं हो पर ख़्वाबो का हिस्सा होने लगे हो....
वक़्त नहीं गुजरता आजकल मैं गुजर रही हु आहिस्ता आहिस्ता ठहरी हुई हूं सदियो से कही वो गुज़रता हैं मुझमें हर रोज ख़्वाबो संग चलती हूं रातो में कुछ ख़्वाब टूटते हैं मुझमे हर रोज बेअलफ़ाज़ सी हूँ आजकल कुछ कहानियां गुज़रती हैं मुझमे हर रोज..
तुम बेवजह बेमतलब सा इश्क़ करो कभी कभी आँखों की ख़ामोशीया पढ़ा करो देह को छूते हैं सभी, तुम रूह को छुआ करो दिल की दीवारे, जो टूटी फूटी हैं प्यार से उनकी मरमत किया करो तुम बेवजह बेमतलब सा इश्क़ किया करो बेशक तुम ना तोड़ो चाँद तारे मेरे लिए बस दर्द में मेरी मुस्कान बना करो... तुम बेमतलब सा इश्क़ किया करो..
बूढ़ी आँखों ने पाले थे कुछ ख़्वाब एक रोज पंख लगे ख़्वाबो के छोड़ गए आँखों का आसियाना एक रोज...... आँखे तकती हैं राहो को पैर भी अब लड़खड़ाते हैं हर रोज वो ख़्वाब आसमान में उड़ते रहे वो बूढी आँखे जमीन से उने तकती रही की शायद लौटेंगे वो ख़्वाब एक रोज.....