होता ही कहाँ है..
अनवरत चलती ही रहती हैं
स्मृतियों की छाँव में।।-
Dपk_ डायरी..🇮🇳
(..✍️DपK_डायरी (05102025))
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विद्या ददाति विनयं ।
क़िरदार कितने, कितनों की ख़ातिर निभाये जा रहा हूँ,
कोई तो शख़्स हो जो मुझे... read more
क़िरदार कितने, कितनों की ख़ातिर निभाये जा रहा हूँ,
कोई तो शख़्स हो जो मुझे... read more
Joined 26 May 2022
20 AUG AT 12:25
"बार-बार बिखेरना
बिखेर कर समेटना,
इस आदत ने हाथ में
कुछ रहने ही ना दिया"।।-
4 AUG AT 22:06
इक आह भी ना निकली बिछड़ते वक़्त उससे,
अब रातें मेरी दहाड़े मार कर रोती हैं उसके लिए।।-
20 JUL AT 21:25
अपनों द्वारा किया गया अपमान
धीमे ज़हर से कम नहीं होता,
हम मरते तो रहते हैं,
मगर मरते भी नहीं है।।-
8 JUL AT 22:30
तेरी मद भरी निगाहों ने
क्या कमाल कर दिया..
जिस्म के अंग-अंग ने मानो
श्रृंगार कर लिया।।🌹-
6 JUL AT 13:23
कमबख्त,
इतवार भी जैसे रूठा सा है हमसे ,
जब से उठे हैं काम में ही फंसे है।।-
26 JUN AT 22:34
वक़्त के साथ जैसे
मधुमेह सा हो गया है प्यार हमारा,
और चीनी से हो गए हैं
एक दूजे के लिए हम।।..😝😜-