QUOTES ON #मैं

#मैं quotes

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6 NOV 2020 AT 6:34

अगर तुम चाँद होते तो मैं रोशन रात बन जाती 
अगर होते कमल तो बन सबा ख़ुशबू को बिखराती 
जो होते ख़्वाब तो पलकों को मैं खुलने ही ना देती
मगर तुम वो पहेली हो जिसे मैं बूझ ना पाती

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15 MAR 2020 AT 15:13

सहारे की तलाश ना कर तो अच्छा है।
औरत होने का मतलब, तू खुद एक दरख़्त है।

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9 APR 2021 AT 8:55

मैं मौन हो रहा हूँ और वो शोर कर रही है
पलकों की उठा-पटक घनघोर कर रही है

सो गया है बीच में जहां ये सारा का सारा
नशीली आँखें कुछ ऐसा ज़ोर कर रही हैं

क्या मजाल झपक लूँ एक पलक तनिक
शून्य सा सुन्न मुझे वो पुरज़ोर कर रही है

गहराइयों में डूबने को आतुर तो हूँ मग़र
आँखें उसके चंद्रबिंदु पर ग़ौर कर रही हैं

बारिश बह रही है और हवा बरस रही है
मदहोशी असर उसकी हरओर कर रही है

भूलभुलैया भी है और है नयनाभिराम वो
आँखों आँखों में रात को भोर कर रही है

'बवाल' हो तो हो, अब किसे फ़िकर यहाँ
मैं मौन हो रहा हूँ और वो शोर कर रही है

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11 AUG 2020 AT 1:22

Self Portrait

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11 MAY 2019 AT 18:25

बस इतनी रहूं मैं
कि जब न रहूं


तो याद आऊं

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12 JUL 2019 AT 10:10

किसी सड़क पर
और
घने जंगल में नहीं,
ना ही,
किसी गहरी खाई में गिरे
जीव की तरह ...

मैं मिलूँगा तुम्हें,
तुम्हारे ही
मन की दीवार पर,
सिर रखकर
फ़फ़क-फ़फ़क कर रोता हुआ
चीखता हुआ
और कराहता हुआ.....

गाँव के
किसी
उदास कुँए की तरह!

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26 APR 2019 AT 6:27

जो चाहा नहीं था वही हो रहा हूँ
बचा लो कि मैं आदमी हो रहा हूँ

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1 JUL 2019 AT 17:51

मेरी ख़ामोशी से मेरा एक सवाल ऐसा है
आँखों में आँसू हैं नहीं, ये मलाल ऐसा है

कोई फ़ुर्क़त पल रही दिल में क़ुर्बत बनी
तन्हाई से पूछा? उसका भी हाल ऐसा है

मेरा शहर ए सहरा, दरिया से गहरा हुआ
मैं साहिल प्यासा रहा, ये कमाल ऐसा है

बे-वज़ूद इश्क़ कामिल होगा भला कैसे
धड़कनों ने बुना मकड़ी सा जाल ऐसा है

कोई तीरगी सी बह रही है नसों में मिरी
अब कालिख़ का भी देखो जमाल ऐसा है

रौनकें घर में नज़र आती किसी 'लौ' सी
और जलता हुआ भीतर 'बवाल' ऐसा है

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8 JUL 2019 AT 9:56

मुझे रास आए, महफ़िल में वो बात नहीं है
ये ज़िंदगी ख़ाक सी जो तू मेरे साथ नहीं है

मैं दिल जला हूँ, अपनों के फ़रेब देख- देख
यूँ दिल छूने भर की गैरों में औक़ात नहीं है

ऊँच- नीच, जात- पात महामारियाँ है बुरी
साफ़ मन से बढ़के दूजी कोई जात नहीं है

रात ज़ालिम है ख़ामोश मेरा सब्र देख कर
वरना मुझे डराए अँधेरों में औक़ात नहीं है

यूँ तो रोज़ सफ़र तय करता हूँ ज़िंदगी का
मग़र कुछ हासिल करूँ वे जज़्बात नहीं है

एक बवाल है, जो सीने में पल रहा है मेरे
वरना थामे मुझे, काँधे पर वो हाथ नहीं है

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14 MAY 2020 AT 10:41

मतलब मेरे जहान में , 'मिट्टी' के ढेर सा
जिस 'रंग' चाहे ढाल लो , 'सांचे' में जिस मुझे

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