महफुस रखना आँखो मे सितारे,
कल तक सिर्फ रात होगी !
मुसाफिर हम भी, मुसाफिर तुम भी,
नजाने अब किस मोड पर मुलाकात होगी...!!!-
चाँद की चाँदनी से, रोशन रहें।
नदियाँ यूँ ही कल-कल, बहती रहें।
टिमटिमाएँ ओस के तारे सदा,
आँगन के पुष्प सदा, सुरभित रहें।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी
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मन्नत के धागे, नजूमी के कौल से भी, नहीं हैं सब्र,
ख़्वाहिश करते ही टूटता तारा मिले, तो बात बने!
जिंदगी के लिए जीने की सिर्फ शिद्दत काफ़ी नहीं,
जीने की कोई खूबसूरत वजह मिले तो बात बनें!
यूँ तो मिल जाते हैं राहों में हमनवां, हमदम, अक्सर,
कोई मिले जिंदगी का हमसफ़र, तब तो बात बनें!
मिलते मुसाफ़िर अलग राहों के अक्सर ज़िन्दगी में,
कोई अपनी राह से मेरी राह पे आये तो बात बनें!
दोस्त अहबाब बहुत हैं, जो याद आते हैं खुशियों में,
कोई मिले ऐसा, जो ग़म में याद आये तो बात बनें!
पढ़ते तो सब है मेरे अल्फ़ाज़-ए-तहरीर को बेशक,
कोई तस्दीक तो करे मेरे बयान को, तो बात बनें!
यूँ तो आंसू पोंछने को मेरा अपना दामन तो है "राज" _राज सोनी
कोई अपने आँचल में ले ले अश्कों को, तो बात बनें!-
खुशियां दोगुनी हो जाती है,
दुख़ आधी हो जाती है,
जब अपने हो साथ।
राहें तो खो जाती है,
हमसफ़र ही होते है साथ,
मंज़िल पाने के बाद।
वर्ना जंगल में मोर नाचा, किसने देखा ।
जश्न मनाएंगे हम जीतने के बाद,
जब अपने हो साथ ।।-
राह भटके मुसाफिर की तरह
मैं युंही भटक रहा हूं इधर उधर,
हर रस्ते से बस यही पुंछता हूं कि
तू मेरी मंजिल की तरफ जाता है की नही।
- सहजच (सम्राट कसबे)
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अंबर पे कितने तारे हैं
उड़ते यह जुगुनू कितने प्यारे हैं,
मैं भी कितना पागल हूं, के रात से रूठ के बैठा हूं
...जिंदगी तेरे अंधेरे में भी, कितने खूबसूरत नज़ारे हैं,
सागर सी ख्वाईशें हैं... लहरों सी फरमाइशें हैं
और मंजिल की टोह में हम, दूर दूर तक बेसहारे हैं,
पर कश्ती बोले मांझी से... क्या डरना है आंधी से
जब पतवार है तेरे हाथों में... और दोनों तरफ किनारे हैं,
अंबर पे कितने तारे हैं
उड़ते यह जुगुनू कितने प्यारे हैं,
जिंदगी तेरे अंधेरे में भी, कितने खूबसूरत नज़ारे हैं!!-
सफर मुश्किल भी हो तो गम नही.......
काँटों पे चलना सिख लेंगे........
मंजिल मिलना मुश्किल अगर हो तो
हौसला नही गिरेगा....
मत रुको आगे बढ़ने वाले मुसाफिर....
पीछे वालो को रास्ता कौन दिखायेगा....
स्वर्ग --नर्क की बातें करने वाले ,ही भटकते है, रास्तो में.....
कबीर भी फुर्सत की मौत लिए मगहर में.....-
तेरे सिवा मेरा हर गैर से एक ही वास्ता ,
कोई मुसाफिर पूछता हो मंजिल का रास्ता।-