Mukta Sharma Tripathi   (#muktaमणि)
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Joined 26 April 2018


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26 MAY AT 8:02

एकाग्रता ज़रूरी है।
प्रखरता ज़रूरी है।
सफलता के लिए,
निरंतरता ज़रूरी है।

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28 APR AT 23:01

जीवन की छाँव-घाम में चल।
उम्मीद दामन थाम के चल।
कल-कल करती नदिया कहती,
शैल का सिर तू लांघ के चल।
पल-पल हर पल घड़ी बताती,
सुई काँटे पग बाँध के चल।
मलमल कोमल चीर बताता,
हर चक्रव्यूह को लांघ के चल।
छल-छल बहता झरना कहता,
गिरना भी गीत बताता चल।
बारीक ताने में बुना जो,
तिनकों के गाँव बसाता चल।
क्षितिज प्रहेलिका बूझने को,
शौर्य के पंख उगाता चल।

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24 APR AT 8:46

पहलगाम के शहीदों को श्रद्धासुमन..

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23 APR AT 13:43

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22 APR AT 9:36

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22 APR AT 9:05

कनखियों से न झांकिए।
ख़ुद को कम मत आंकिए।
जरा उचक, बस हाथ बढ़ा,
गगन में तारे टांकिए।
चुप्पी तोड़ शोर मचा,
गम को हट-हट हांकिए।
नाम अमृत कलश को छोड़,
पाप मिट्टी क्यों फांकिए!

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18 APR AT 22:10

धूप फलों को मीठा करती।
पंख-परों में जीवन भरती।
बीज शिरा धारा में बहकर,
हृदय घड़ी में चाबी भरती।
जीवन की नस-नस में रम कर,
नव युग की यह रचना करती।
बेल-लता से हिल-मिल कर ये,
चंद्र किरण से बातें करती।
गीत सुनाती तितली सजकर,
फूल-कली से रज-सी झरती।
मृदुल सरल हंसी बालक की,
तप्त हृदय के दुःख सब हरती।
सोम-सुधा के नद ये भरके,
चिर युवती नवयौवन धरती।

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3 FEB 2023 AT 17:24

शुष्क हृदय में
इक नखलिस्तान फूट पड़ता है।
इक सरस सा चश्मा छूट पड़ता है।।
फिर जब तक मैं
तुम्हारे हर प्रश्न का उत्तर ना पा लूँ?
फिर जब तक मैं
तुम्हारी हर थाह को ना नाप लूँ?
मैं कैसे बाहर आ सकता हूँ।
तुम किताब और मैं
कैसे पाठक कहला सकता हूँ??
बस तुम्हारी, सरस, मधुर
शब्द लहरियों की तरंग से
हो तरंगित मैं,
जीवन में सब कुछ पा सकता हूँ।।
✍मुक्ता शर्मा त्रिपाठी

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3 FEB 2023 AT 9:19

क्यों रहते हो तुम दूसरों से डरते?
क्यों हिचकिचाते कदम हो धरते?
जरा! हिम्मत के पंख फहरा कर,
खुद पर विश्वास क्यों नहीं करते?
✍️मुक्ता शर्मा त्रिपाठी

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2 FEB 2023 AT 16:52

Life is not to mere think about others.
For them, you're not a dish of supper.
It's okay to serve whole heartedly to them,
But take out time to discover and recover.
✍️Mukta Sharma Tripathi

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