देती हूं सबक, तोड़ आदम कि गफलते,मैं वक्त हूं,
"मुर्शीद"मुझ जैसा खुदगर्ज,इस जहां में कहां!!-
मोहब्बत-ऐ-क़ामिल खुदा की इनायत को,
सलामत रखे हमराह ये दुआ क़ुबूल हो....-
ए मुर्शीद तेरी काबिलियत पर शक नही मुझे
पर उसे भुलाने में तावीज वो नाकाम रही-
मुर्शिद की निगाहों का
कुछ ऐसा कर्म देखा,
जिस पर भी नज़र डाली
अपना ही सनम देखा,
तारीफ तेरी जिस दम
लिखने के लिए बैठे,
अल्फ़ाज़ हुए सदके,
सजदे में कलम देखा!-
ब कौल ए यार हो तुम तो
बा खौफ ए ये कहूं सबको,
कि तेरा आना बा बरकत,
वो तेरा जाना जां निकलना है।
रूहानी चाहते तुमसे,
ना होंगी ये बयां मुझसे,
कि इस अल्फ़ाज़ ए रिश्ते को।
ज़माना क्या समझना है।।
ना कोई आरज़ू तूझसे,
ना कोई जुस्तजु ही मेरी है,
कि निगाहें यार मिल जाए।।।
यही कहना ही काफ़ी है।।।।
ब कौल ए यार हो तुम तो.....-
आज कुछ बदला-बदला सा है मुझमें
क्या ये तुम्हारी सोहबत का असर है।
मेरे रोम- रोम में तुम्हारे होने का एहसास
महसूस हो रहा मुझे अब हर पहर है।
तुम्हारा दीदार हो ये आरज़ू लेकर भटक रहे थे हम
ये तुम्हारा कर्म ही तो है।
मुर्शिद ....
जो ले आया आज मुझे तुम्हारे शहर है ।-
अपने बूद की तलाश में यायावर हूं
ऐ मुर्शिद मैं तेरा तलब गार हूं।।-
Murshid Ne Hi To Hath Diya Tha ..
Hathon Me... Kl Khuab Me Diya Tha..
Kl Hqikat Me Bhi Dega... !!!-
हर दुआ लग जाये तुझे इस दिल की
लाखों फरियादें हैं इन फरियादी नज़रों की
ओढ़ा दूँ तुझे लिबास अपनी फ़क़त मोहब्बत का
तू जहाँ रहे मुस्कुराती रहे मुस्कान बिखेरती रहे
खुशियों का गीत यूँही सुनती रहे, गाती रहे
यहीं तमन्ना है मेरी, मेरे दिले मुर्शीद की..-
अगर मोहब्बत के मदरसें होते,
महबूब को मुर्शीद बनाकर,
खुद उनसे तालीम ले लेती।
😁
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