ज़िन्दगी इक धुप है,,
आप ठंडी छांव हो,,
ह्रदय में बसी सुकून हो,,
खुशी का बहाव हो,,
अंधेरो में जुगनू सी रौशन,,
मेरे प्रार्थना का प्रभाव हो,,
ममता की जीती जागती मूरत,,
अन्नपूर्णा सी,,
मेरे मन के मंदिर का श्रद्धाभाव हो,,-
इस्तेहाल किजीए,, इस्तेमाल किजीए,,
पर यूं न,,हाल ए दिल बेहाल किजीए,,
है हमसे ही,,जमाने भर की रौनक,,
कुछ तो,, हुजूर इसका ख्याल किजीए,,
क्यों आंखें,,भर आती है आपको देखकर,,
आंखों के स्याह काजल से ये सवाल किजीए,,
गुनहगार है,,इश्क का गुनाह किया है हमने,,
इल्तज़ा है जुल्फों की कैद में माह ओ साल किजीए,,
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मुझको शिकायत है,,दिल की गफलत से,,
बेख्याली में की गयी,,दिलों की तिजारत से,,
करना भी था,,तो थोड़ा देख-भाल कर करते,, इश्क
वाकिफ तो हो जाते जरा,,, दिलदार की फितरत से,,-
आंखों से छलकते पैमाने को छिपाए फिरते हैं,,,,
अपने जान को ही,, दुश्मन-ए-जां बनाए फिरते हैं,,
चरागों से जल गया मोहब्बत का शहर इक दिन,,,
अब हम स्याह तीरगी से दिल लगाए फिरते हैं,,
वादों, इरादों, मुरादों औ अधुरे इश्क की दास्तां ,,
इस इश्क की कहानी,,सबको सुनाए फिरते हैं,,,
गम औ खुशी,,सब इक बराबर है मेरे लिए,,
ज़ीने मरने में कोई फरक नहीं,,यही बताए फिरते हैं,,-
यादों के जंगल से कैसे निकले कोई,,,
जब रोज,,इक सुखा शजर हरा हो जाए,,
गुज़रे लम्हों की,,बेले आ लिपटे बदन से,,
और,,बरबस ही माजी से सामना हो जाए,,-
रीश्ते बदलते हैं,,, किरदार बदलते हैं,,
बिछड़ जाते हैं वो भी जो साथ चलते हैं,,
है ज़िन्दगी का सफर,, तजुरबाओ का खेल,,
जीत जाते हैं वो,,जो गीर कर संभलते है,,
समय का सामना करना ही होगा,,
देखना है शहर ए गम में कब चराग जलते हैं,,,-
पुर-खार सी है ज़िन्दगी,,राबता नहीं है बहारों से,,
सारे ख्वाब स्याह है,,रौशनी आती नही सितारो से,,
हर शब माह ए कमल,, दर्द के मुक़ाबिल रहती है,,
इश्क राबता रखती है,,रंज ओ गम के दावेदारों से,,
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इक इक सायरी,,इक इक हर्फ में,,
हर ग़ज़ल,,हर मोहब्बत के रिसाले में,,
टुटे हुए ख्वाबों का ही जिक्र है,,
मीर तकी मीर के नज्मों औ बच्चन के मधुशाले में,,
इक दरिया दर्द का आंखों में संभाला है,,
औ इक आह छुपी है लबो के प्याले में,,,
दरगाहो पर अधूरी मोहब्बत के धागे बंधे हैं,,
औ,,
मुकम्मल मोहब्बत हो,,ये अर्जी लगी है शीवाले में,,
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मुकद्दस मोहब्बत मुकम्मल होने से,,खौफ खाती है,,,
इश्क के मुकद्दर में है,,,हुश्न को कदीम इमारत सा ताकना,,-
इश्क के ताब से वाकिफ नहीं हैं जमाने वाले,,,
जान देकर भी वादा निभाते हैं,,निभाने वाले,,,
तुमने इश्क किया कारोबार समझ कर,,मेरे महबूब,,
औ हम ठहरे,, इश्क के दरिया में डूबे जाने वाले,,
इक दर्द रूक गई है,,दिल के दहलीज पर आकर,,
इस दर्द के सीवा कौन आएगा,,कौन है आने वाले,,
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