हादसों का सफर है,,मोम दिल का पत्थर हो जाना,,,
कलंक जैसे कालिख लकिरो,,का मुकद्दर हो जाना,,
साहब ए यार को हिज़्र की तलब होने लगी थी,,,
जैसे सदियों की मोहब्बत का,,,मुख्तसर हो जाना,,
अब जो बिछड़े है,,तो विसाल की हसरत न रही,,
हमने देखा है,,दिल ए मकां का खंडहर हो जाना,,
अब हमारे मुकाबिल,,, ख्वाहिशो का जीक्र न करें,,
अजाब होता,,हंसती आंखों का समंदर हो जाना,,
मतलबी लोगों को मुबारक हो फरेब की दुनिया,,
हमें रास आ गया है,, इश्क मे मोतबर हो जाना,,,
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