ग़ालिब या किसी शायर ने भी ना लिखा हो
आज आपके लिए मैं कुछ ऐसा लिख जाऊं
कि आप तो रईसी में जीते हो खूबसूरती के
मैं आपके आंख के एक इशारे में बिक जाऊं
✍️ विकास भट्ट-
*Uttarakhandi* 😇😇
🤲हाथ खाली थे मेरे गली में तेरी आन... read more
लाज़मी है आपके चेहरे पर तिल का होना भी
कि ख़ूबसूरत चेहरे पर पहरेदारी बहुत ज़रूरी है-
मुझे चांद सितारों से सजी रातें पसंद हैं
बातें बहुत हैं मगर उनकी बातें पसंद है
काबिल ए तारीफ़ हैं उनके लंबे बाल
मगर मुझे सबसे ज्यादा आंखें पसंद है
हर किसी से मिलता तो ज़रूर हूं मैं
मगर उनके साथ की मुलाकातें पसंद हैं
बहुत धूप है बहुत बेचैनी है आजकल
मुझे उनसे गुज़री हुई फ़िज़ाएं पसंद हैं
✍ विकास भट्ट-
इंतज़ार के वो पल हैं ख़ास, जिसमें भरे हों आपके एहसास
अब आप बताइए कि कैसे तकलीफ़ दे सकते हैं वो जज़्बात-
दिल बेकाबू हो उठा महज़ निगाहें मिलाने से
निकल गई रूह मेरी जब भरा उन्होंने बाहों में
इक सुकून सा भी रहता है उनकी मौजूदगी में
महफूज़ समझता हूं खुद को उनकी पनाहों में
खुशी की लहर सी दौड़ जाती है होंठों पर मेरे
कुछ तो बात ज़रूर है उनकी हंसी मुस्कुराहटों में
कलम गुफ्तगू करने लगती है पन्ने काग़ज़ से
जब शायरी कोई जनम लेती है उनके ख्यालों में
इस नए दौर में पुरानी सी मोहब्बत है हमारी
एक ज़माना लग गया बनाने में उनको ज़मानों में
माथे पर बिंदी हो गेंसू उनके खुले और झुमके हो
कि चार चांद लग जाते हैं उनके सोलह श्रृंगारों में
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ख़ुद को देखकर आईने में तुम खुद ही बिंदी लगाती हो
इत्मीनान सलीके सादगी से खुद को संवारती सजाती हो
कि दाद देनी चाहिए हमें उस बेज़ुबान आईने की भी
सांस लेता आईना तो कहता उफ्फ क्या क़हर ढाती हो-
कि ना जाने किस किस को मिलेगी इक नई ज़िंदगी
आज रुख़ में पर्दा नहीं जाने किसकी शामत आई है
देख लिया जो मैंने उनको कभी नज़र भर देखकर
गर एक नज़र वो भी देख लें उफ्फ क़यामत आई है
सजदे हज़ारों मर्तबा किए होंगे चौखट पे उनके हमने
ख़ुद को बिछा दूं कि मेरी चौखट पर इबादत आई है
हर दिन ख़ास है हर पल खुशनुमा है उनकी बदौलत
इस्तकबाल है उनका मेरी ज़िंदगी में बरकत आई है
उनके आने से मुझे ज़िंदगी मिली ज़िदंगी से प्यार हुआ
कि जबसे ज़िंदगी में वो बनकर मेरी मोहब्बत आई है
✍️ विकास भट्ट-
पा कर खोना खो कर पाना चलता है ज़िंदगी में
उनसे बढ़कर मेरी ज़िंदगी में कोई हासिल नहीं
हासिल जो कर लिया मुकद्दर भी साथ देगा मेरा
गर मैं उसके काबिल नहीं तो किसी काबिल नहीं-
मेरा भाग्य तुम हो सौभाग्य तुम ही
प्रतिबिंब मेरा जिसमें वो दर्पण तुम हो
संसार से ना मेरा नाता रिश्ता कोई
मेरा तो दिल का केवल यकीन तुम हो
हृदय को गति मिली है तुम्हारे आने से
मेरे जीवन के लिए तो उच्चतम तुम हो
सब कुछ मान लिया तुम्हें अपना हमने
कि मेरे लिए तो सर्वगुण संपन्न तुम हो
रोम रोम में तुम्हारे नाम का आभास हो
कतरे कतरे खून में तुम्हारा ही वास हो
अनुकंपा मिली ईश्वर के रूप में तुमसे
मेरे जीवन धरोहर सबसे अनुपम तुम हो
खुशियों का सागर मेरा समर्पित तुम्हें
संसार का सबसे अनमोल समर्पण तुम हो
तुम्हें मान लिया हमने जीवनसाथी अपना
कि एक मेरे लिए केवल सबसे उत्तम तुम हो
हाथ थामा है हमने तुम मेरी अर्द्धांगिनी हो
नाम हृदय में तुम्हारा तुम जीवनसंगिनी हो
मन में बेहिसाब प्रेम भरा है तुम्हारे लिए
कि सबकुछ बाद में सर्वोपरि सर्वोत्तम तुम हो-
चाहे सुख हो
चाहे दुख हो
हर पल तुम्हारा
सुमिरन मैं करूं
दिल जिसमें तुम हो
तुम्हें धड़कन मैं कहूं
मेरी तकलीफ़
मेरी परेशानियां
पल में दूर कर देते हो
तुम्हें रहमत का आंगन मैं कहूं
जन्नत ज़मीं पर उतर आई है
तुम्हारे पैरों ने जब कदम ज़मीं पे रखा
कदमों तले ज़मीं को पवित्र पावन मैं कहूं
घुल गई हो मिश्री जैसे कानों में
आवाज़ में जैसे कोयल बैठी हो
कंठ में सरस्वती का आशीर्वाद हो
तुम्हारी मधुर आवाज़ को सुर संगम का मिलन मैं कहूं
इक देता है इक लेता है
हर सांस जो मैं लेता हूं हर पल हर दिन
तुमने ही संभाला है मुझे
तुम्हें अपना जीवन मैं कहूं
आंखें तुम्हें देखने को तरसती है
तरसकर फिर बेइंतहां बरसती है
पागलपन है अगर ये ज़माने के लिए
इसे ख़ुद को तुम्हारा समर्पण मैं कहूं-