Vikas Bhatt✍🏻   (विकास - Eternal Soul✍️)
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Joined 1 June 2019


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20 HOURS AGO

घूरकर देखने वाले लोग क्या जाने
कि निहारना क्या होता है

देखकर उनकी आंखों में क्या जानूं मैं
कि आइना क्या होता है

इशारों में भी पढ़ लेते हैं उनकी मायूसी
कि पुकारना क्या होता है

पूछना कभी मेरे कमरे की दीवारों से
कि अकेले रात गुजारना क्या होता है

अपनी चाहत को इतनी चाहत से चाहा है
अब जाना मैंने कि चाहना क्या होता है

इक मौत ही नहीं जो ज़िंदगी छीन लेती है
उनसे दूर हूं तो समझा कि मरना क्या होता है

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6 JUL AT 16:34

ख़ूबसूरत आंखों के कद्रदान है मेरे शहर के लोग
तुम जो आओ मेरे शहर में मेरा शहर छा जाएगा

यूं तो क्या ही कहें कि हर रंग जंचता है तुम पर
सुर्ख़ लिबास में आ जाओ तो कहर ढा जाएगा

किसी मुस्सविर की गर ना बिके कोई भी तस्वीर
तुम्हारी तस्वीर बनाए जो खुदा वो भी छा जाएगा

महताब को अपने साथ उस दिन चलते देखा मैंने
फ़िक्र थी कहीं पीछे पीछे उनके ज़माना आ जाएगा

उस चांद से चेहरे पर मुस्कान के साथ बिंदी देखी
नज़र उतार ली वरना आईने का दिल आ जाएगा

वो लहराती ज़ुल्फ़ें सुहाना मौसम और साथ उनका
ख़बर नहीं थी कि उनके आने से मौसम छा जाएगा

✍️ विकास भट्ट

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1 JUL AT 17:53

मेरी पाक मोहब्बत पे तो वो चांद भी फ़िदा है
जो दुनिया में रहकर भी दुनिया से अलहदा है
उनसे मोहब्बत करके दिल की मुफ्लिसी दूर हो गई
मेरी जान ए तमन्ना मेरी मोहब्बत सबसे जाविदा है

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16 JUN AT 13:54

ग़ालिब या किसी शायर ने भी ना लिखा हो
आज आपके लिए मैं कुछ ऐसा लिख जाऊं
कि आप तो रईसी में जीते हो खूबसूरती के
मैं आपके आंख के एक इशारे में बिक जाऊं
✍️ विकास भट्ट

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28 MAY AT 10:40

लाज़मी है आपके चेहरे पर तिल का होना भी
कि ख़ूबसूरत चेहरे पर पहरेदारी बहुत ज़रूरी है

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24 MAY AT 7:20

मुझे चांद सितारों से सजी रातें पसंद हैं
बातें बहुत हैं मगर उनकी बातें पसंद है

काबिल ए तारीफ़ हैं उनके लंबे बाल
मगर मुझे सबसे ज्यादा आंखें पसंद है

हर किसी से मिलता तो ज़रूर हूं मैं
मगर उनके साथ की मुलाकातें पसंद हैं

बहुत धूप है बहुत बेचैनी है आजकल
मुझे उनसे गुज़री हुई फ़िज़ाएं पसंद हैं

✍ विकास भट्ट

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15 MAY AT 12:44

इंतज़ार के वो पल हैं ख़ास, जिसमें भरे हों आपके एहसास
अब आप बताइए कि कैसे तकलीफ़ दे सकते हैं वो जज़्बात

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12 MAY AT 7:40

दिल बेकाबू हो उठा महज़ निगाहें मिलाने से
निकल गई रूह मेरी जब भरा उन्होंने बाहों में

इक सुकून सा भी रहता है उनकी मौजूदगी में
महफूज़ समझता हूं खुद को उनकी पनाहों में

खुशी की लहर सी दौड़ जाती है होंठों पर मेरे
कुछ तो बात ज़रूर है उनकी हंसी मुस्कुराहटों में

कलम गुफ्तगू करने लगती है पन्ने काग़ज़ से
जब शायरी कोई जनम लेती है उनके ख्यालों में

इस नए दौर में पुरानी सी मोहब्बत है हमारी
एक ज़माना लग गया बनाने में उनको ज़मानों में

माथे पर बिंदी हो गेंसू उनके खुले और झुमके हो
कि चार चांद लग जाते हैं उनके सोलह श्रृंगारों में

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21 APR AT 17:47

ख़ुद को देखकर आईने में तुम खुद ही बिंदी लगाती हो
इत्मीनान सलीके सादगी से खुद को संवारती सजाती हो
कि दाद देनी चाहिए हमें उस बेज़ुबान आईने की भी
सांस लेता आईना तो कहता उफ्फ क्या क़हर ढाती हो

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19 APR AT 7:55

कि ना जाने किस किस को मिलेगी इक नई ज़िंदगी
आज रुख़ में पर्दा नहीं जाने किसकी शामत आई है

देख लिया जो मैंने उनको कभी नज़र भर देखकर
गर एक नज़र वो भी देख लें उफ्फ क़यामत आई है

सजदे हज़ारों मर्तबा किए होंगे चौखट पे उनके हमने
ख़ुद को बिछा दूं कि मेरी चौखट पर इबादत आई है

हर दिन ख़ास है हर पल खुशनुमा है उनकी बदौलत
इस्तकबाल है उनका मेरी ज़िंदगी में बरकत आई है

उनके आने से मुझे ज़िंदगी मिली ज़िदंगी से प्यार हुआ
कि जबसे ज़िंदगी में वो बनकर मेरी मोहब्बत आई है

✍️ विकास भट्ट

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