शीर्षक -- ॥अहसान॥
किसी का अहसान अपने ऊपर मत होने दो,लोग अहसानों के बदले पीड़ादायक एकांत की मृत्यु मांगते हैं और फिर तुम सबके साथ होते हुए भी एक तरह से अकेले हो जाओगे बिल्कुल मुर्दा की तरह;सारी उत्तेजना के निर्झर जो कभी तुममें फुट रहे थे सुख जाएंगे और इच्छाओं का जनाजा निकल जाएगा;)
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