मुठ्ठी भर, रोकने की ख़ातिर,
उस समझदार बंदे ने, दरिया बहा दिया।-
इश्क रेत
सा है, ये...
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अंजुरी मे तो
आता हैं....
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मगर, मुठ्ठीयो में
फिसल जाता हैं!-
वो देखने मुझे आना तो चाहता होगा
मगर ज़माने की बातों से डर गया होगा
उसे था शौक़ बहुत मुझ को अच्छा रखने का
ये शौक़ औरों को शायद बुरा लगा होगा
कभी न हद्द-ए-अदब से बढ़े थे दीदा ओ दिल
वो मुझ से किस लिए किसी बात पर ख़फ़ा होगा
मुझे गुमान है ये भी यक़ीन की हद तक
किसी से भी न वो मेरी तरह मिला होगा
कभी कभी तो सितारों की छाँव में वो भी
मिरे ख़याल में कुछ देर जागता होगा
नहीं वो आया तो 'Vishal' गिला न कर उस का
न-जाने क्या उसे दरपेश मसअला होगा
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सारा जहां सो जाए,,
पर तू जागना,,
तूझे करना हैं दुनिया,,
मुठ्ठी मे ,,
अपनी हिम्मत बांध के ,,
रखना ।।-
सूखी अंतड़ियों का सामान लेकर आई हूँ
मुठ्ठी में बन्द उन्मुक्त उड़ान लेकर आई हूँ
कचरैली आँखों में कल का आसमां लेकर आई हूँ-
तुम्हारी यादों के कुछ मुठ्ठी दर्द ने बचा लिया मुझे
कल मेरे शहर में खुशियों का क़त्लेआम हुआ था-
ख्वाहिशें आसमाँ की नहीं,
थोड़ी अपनी सी जमीं माँगी थी,
तूने तो समुंदर आसुओं का दिया,
हमे तो मुठ्ठी भर ख़ुशियाँ ही काफ़ी थीं,,,,,‼️
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मुट्ठी खोल दूँ आज,
तेरी इन मुरझाई हुई,
लकीरों के नीचे,,
शायद फ़िर जिन्दगी मुझे,
मना ले।
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चांद तारों पर पहुंचने का क्यों गुमां करता है तू ए इंसान
मत भूल कभी के दो मुठ्ठी रेत से ज्यादा तेरी औकात नहीं।-