-----------bachhapn---------
बचपन की बात थी निराली...,,
उठ खिलौने की व्यवस्था करना
दोस्तों को इकट्ठा करना....
खेल का शुरू हो जाना,
बीच-बीच में झगड़े होती थी भारी,.
पर,,. कुछ देर बाद फिर हो जाती थी यारी.,
झगड़े की तो बात बच्चे भूल गए ,मिल शैतानियां की क्या? याद रहें...
जब होती homework की बारी,
अरे यार ये homework किसने बनाया?
मम्मी वज़ह थी, करना तो पड़ेगा आज, 2 घंटे सड़ना
पड़ेगा आज...
यह एक tension से वो छुटकारा पा खुश हो जाते...
बच्चे सारे
बच्चे अब बड़े हो गए , समझदार और जिम्मेदार हो गए, इकट्ठे दोस्त बिछड़ गए , कुछ सपने उनके अपने हो गए , जो बचपन अपनी थी धूमिल हो, पाराए हो गए..
-