मैं भ्रम हूं ।
यहाँ के लोगों के शब्दों को पढ़कर उनके प्रेंम में मत आइयें ,
क्योंकि ये मायावी दुनिया है यहाँ लोग सिर्फ भ्रंम का जाल बिछाते है ।-
माना कि...,
मेरे फैसले
फ़ासलों में
ही निहित थे
स्वविवेक ही सही
दूरियां तो उपबंध थी
अर्थ.. प्रतिष्ठा..
सकल काल रहे
नये रिश्तों की
अनुगामी पथिक भाँति
सर्वदा मैं चली
अक्षुण्ण रही
आत्मसंतोष से
आत्मपीड़ा से
कदाचिद्...,
स्वावलंबन प्राधिकार रहे
परपीड़ा संज्ञान
कर्मसाध्य रहे
सेवाभाव कार्य
नैतिकता रहे
सांसारिक मुल्यों
पर खड़ा उतरना
आवश्यकता रहे
दैहिक सुख
आधीन रहे
कभी ऐश्वर्य तो
अवसादों से चहुँओर
गुँजन रहे
सुख में समीप्य रहे
जीवन जन
अँधेरे में रक्तसंबंध भी
प्रमाण ढूँढ़े...!!-
किसी मायावी दुनिया सा मेरा रक़ीब खूबसूरत है बेहद,
मैं हक़ीक़त सा खुरदुरा हूँ फ़क़त इसीलिए बहुत बुरा हूँ।-
हम भूल गए ख़ुद को दुनिया इस कदर हम पर हावी है,,
फँसते ही गये इसमें हम ये दुनिया तो बस मायावी है।।
दबते गये हर रोज़ ही इसके बोझ तले हम,,
ये छीनती गयी हमारा चैन देती गयी बस ग़म।।
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मायावी शक्तियों के मालिक यें साधु लोग गाँजा फूँकने से पहले एक विशेष मंत्र का उच्चारण करते हैं जिससे गाँजा फूंकते वक्त यें राज्य पुलिस और NCB के अधिकारियों को दिखना बंद हो जाते हैं। दिक्कत ये है कि बॉलीवुड या टीवी इंडस्ट्री से जुड़े लोगों के पास ऐसी सिद्धियाँ नही होती और वें NCB के लपेटे में आ जाते हैं।
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उन्होंने ज़रा सा हँसकर बात क्या कर ली ?
आप तो उनकी हँसी को मोहब्बत का नाम दे बैठे
इन मायावी मुस्कुराहटों पर मत जाइए जनाब
जिन्हें देखकर आप मुस्कुरा रहे हो
वो ना जाने कितनों को देखकर मुस्कुराए होंगे
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मायावी
रामायण देखी होगी आप सभी ने तो मायावी शब्द भी सुना होगा बारम्बार। इसका मतलब भी जान लें..
शेष अनुशीर्षक में ध्यानपूर्वक पढ़ें..-
जग में रहना है, तो जग का ध्यान अवश्यंभावी है।
लेकिन ध्यान रहे दुनिया का आकर्षण मायावी है।
अपना दिल जो नहीं मानता, उसको क्यों स्वीकार करें?
आख़िर क्योंकर इतनी ज़्यादा दुनिया दिल पर हावी है?
(दिनेश दधीचि)-
भूत के साये, भावी छाया।
वर्तमान पर हावी छाया।
नहीं हमें जीने देती यह,
कैसी है मायावी छाया?
(दिनेश दधीचि)-