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मैया माखन दूर है हाथ मोरा ना जाए
नन्हा सा कान्हा तेरा माखन कैसे चुराए
बाल-ग्वाल सब बैरी हैं नाम मेरा बताएँ
मुझको भोला जान के बरबस मुख लिपटाएँ-
प्रेम, माखन खाने का आनंद नहीं है, बल्कि
दूध मथने की पीड़ा के साथ
प्रेमी को माखन खिलाने का सुख है।-
माखन चुराकर जिसने खाया,
बंसी बजाकर जिसने नचाया,
खुशी मनाओ उसके जन्म दिन
की जिसने दुनिया को प्रेम
का रास्ता दिखाया
Happy Janmashtami
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जो यूँ तुम मंद-मंद मुस्करा रहे हो
निज को इस छवि से छलिया बता रहे हो
इस युग में छोड़ माखन की चोरी
माँ यशोदा के पैसे चुरा रहे हो ....-
खुशियों की मटकी फूटी
मन माखन सा हो गया
कान्हा की बांसुरी सुनी
सारा जहाँ वृंदावन हो गया ♥️-
मैय्या...तूने कान्हा पे भरोसा नहीं किया,नहीं किया
मैं तो हूँ छोटा बालक,बालक
मैंने चुराया नहीं माखन,माखन
तेरा कान्हा नहीं चोर चोर,चोर चोर
तू कान्हा से प्यारी बात बोल बोल,बोल बोल
मैय्या....तूने कान्हा पे भरोसा नहीं किया,नहीं किया
राधा भी मुझसे रूठी,रूठी
कर लिया है मुझसे कट्टी, कट्टी
गोपियाँ है कर रही झोल झोल,झोल झोल
तू कान्हा से प्यारी बात बोल बोल,बोल बोल
मैय्या...तूने कान्हा पे भरोसा नहीं किया,नहीं किया
गैय्या है तेरी बड़ी-बड़ी,बड़ी-बड़ी
उनको पसन्द हरी घास घास,घास घास
ले जाऊँ चराने मैं रोज़-रोज़,रोज़-रोज़
तू कान्हा से प्यारी बात बोल बोल,बोल बोल
मैय्या ...तूने कान्हा पे भरोसा नहीं किया,नहीं किया
मैय्या तू मुझे है प्यारी,प्यारी
तुझको पसन्द है लल्ला,लल्ला
लल्ला की आँखें है गोल गोल, गोल गोल
तू कान्हा से प्यारी बात बोल बोल,बोल बोल
मैय्या ...तूने कान्हा पे भरोसा नहीं किया,नहीं किया
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राधा संग तूने प्रीत रचाई,
गोपियों संग रास रचाके तूने पुरे जग में धूम मचाई|
माखन तूने चुरा के खाया,
बांसुरी की धुन पे तूने चिड़िया को जगाया|
गैया तूने खूब चराई,
गोवर्धन से तूने मथुरा बचाई|
सुदर्शन उठाया की धर्म कि रक्षा,
असुरों को तूने तनिक न बक्शा|
प्रीत की राह तूने जग को सिखाई,
सुदामा से दोस्ती निभा एक मिसाल दर्शायी|
मईया को तूने बड़ा सताया,
मटकियाँ तोड़ तूने गोपियों रुलाया|
कभी चंचलता से सबको सीख सीखाई,
तो कभी कालिया नाग जैसों को धूल चटाई|
गीता का तूने पाठ पढाया,
अँधेरे से उजाले तक का मार्ग दिखाया|
सखा भी है तू और पालनहार भी है तू,
गोपाल भी तू और गोविंद भी है तू|
कान्हा है, कन्हैया है, घनश्याम भी है तू,
हरि है, हिरंयगर्भा है, जगन्नाथ है, जनार्धना है तू|
तेरी लीलाओं पे जाऊं मैं बलिहारी,
मुरली मनोहर मेरे रास बिहारी|
श्रिष्टी का तू पालनहार,
जन्मदिन पे तेरे हम करे प्रकट हमारा आभार|-
प्रेम को बिहारी ,
नदंलाल, यार ग्वालन को ।
व्रज का बसइय्या सखी,
विहार कंहाँ करता है ।।
गोपियाँ कन्हाई कहे,
मैय्या कहे माखनचोर ।
कौन सा पुकारूँ नाम,
का कहे सुनता है ।।
जमुना को नीर कहे,
झुक के कदम की डाल ।
गोवर्धन विशाल कहे,
पुष्प कुंज व्रज के लाल ।।
मन के झुकाए,
और प्रेम के लगावे सो
चला आये धावत वो,
चितवन में रमता है ।।
गोपियन सी प्रीत भरो,
मन वृंदा गीत करो
प्रेम दधि लगाये हाँथ,
गले लग जाता है ।।
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आज माँ नें घर में मक्खन बनाया
और मैने मेरे कान्हा की तरह😇😇
😉थोड़ा खाया थोड़ा लगाया-