आसमा से चोटियों पे,
फिर पत्थरों से टकराई होगी
इस तरह से माँ गंगा
धरा पे आई होगी
ममतामयी है माता,
निर्मल है इनकी धारा
धोती है तेरे पाप ये
किसी घाट जाके देख ले
पावन पतित हैं माँ गंगा
धरा पे वरदान बन के आई
सम्मान करो इनका
ये है हम सब की जीनव धारा
-
बनारस मे आये हो तो ,
बाबा विश्वनाथ से मिलकर जाना
माँ अन्नपूर्णा का प्यार लेकर जाना
काशी के कोतवाल बाबा काल भैरव का
आशीर्वाद प्राप्त करके जाना
और माँ गंगा मे डुबकी लगाकर
खुद के साथ साथ
अपने आत्मा को भी शुद्ध करके जाना!!
-
उर में सुखद अनुभूति जगाती , ये गंगा की धारा है।
कर देती है मानस को मुग्ध , ये गंगा की धारा है ।।
होती निर्गत् पर्वत राज हिमालय से ,
कितने पठारों का वक्षःस्थल चीरती ।
है कल-कल में इसके अलग आनन्द
विशाल शिलाओं से ये है टकराती ।।
अविरल भाव से बहती रहती , ये गंगा की धारा है ।
उर में सुखद अनुभूति जगाती , ये गंगा की धारा है ।।
मंदिर पूजा शंख से सुशोभित इसके घाट ,
इसके तीर बसे जो नगर हो गये विख्यात ।
गंगोत्री से गंगासागर तक इसका है विस्तार ,
इसका दर्शन दिव्य है अद्भुत है औ विराट ।।
असंख्य नामों से पुकारी जाती , ये गंगा की धारा है ।
उर में सुखद अनुभूति जगाती , ये गंगा की धारा है ।।
#अनुशीर्षक भी-
ऋषिकेश मेरे सपनों का जहां..जहां का जर्रा-जर्रा सिर्फ खूबसूरत है,कभी लक्ष्मण झूले पर खड़े हो जाओ...जो सनसनाती सी हवा रूह को छूकर जाती है,तो रूह भी मानो कहती है कि सचदेव तुझे जाना है तो जा पर मुझे यहीं छोड़ दे,उसका और मेरा साथ तो शमशान तक है ये भी अक्सर भूल जाती है वो ।
लक्ष्मण झूले से राम झूले का मनोरम रास्ता यूहीं गुजर जाता है,फिर त्रिवेणी घाट पर बैठकर मां गंगा से जो भी सवाल जवाब होते हैं मन ही मन कर लिया करती हूं मैं,फिर जब अलविदा कहने का वक़्त आता है...तो अपनी मां से आज्ञा लेने का मन नहीं होता,तो मां भी कहती है कि जा बेटी मुझे पता है तू जल्द ही आएगी।
हमारा रिश्ता है ही ऐसा.....
#ऋषिकेश_डायरी
#मां_गंगा-
और आज की मुलाक़ात ....
चुप रही मैं पर ,,, समझती गई तुम !
तुम , मैं , और चाय की धुन ....
रहे थें जज़्बातों को बुन !
क्या कोई और भी रहा था इन्हें सुन ??
शायद नया मांझी - नईया - पतवार
और ,,, मेरे प्यारे किनारे ' तुम ' 🍀-
तुम्हें अयोध्या जानी चाहिए प्रभु श्री राम के गलियारों में,
सुना है ईश्क़ में खण्डित हो चुके हों।
प्रभु राम के दर्शन करना ओर ज़रा माँ गंगा की डुबकी,
निश्चित ही कलंक से मुक्ति मिलेगी।।-
जय उत्तराखंड! जय भारत! जय राजस्थान
मेरी देवभूमि का कण कण देवमय है
इन पहाड़ों से ही मेरा जीवन सुरमय है
अनन्त "तारा"-
लहर लहर लहराय रही माँ गंगा की धार
राम चरण की रज मिले यही करे है आस।-
पाप तुम कर भी रहे हो और गंगा नहाकर पाप धोने का पाखंड भी कर रहे हो,
पाप धोने का पाखंड तुम अपने साथ भी,और माँ गंगा के साथ भी कर रहे हो.-