Naresh Chandra   (Laxminaresh Chandra)
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Joined 14 August 2017


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26 APR AT 9:03

मुहब्बतों के खिलाड़ी
होशियार रहना
कृपया कैप्शन में पढ़ें

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26 APR AT 8:36

मन की उड़ान को
मन में न दबाइए
गगन विहार करके
फिर लौट आइए।
हकीकत यही है
सोच विचार कीजिए
परिंदे भी लौट आते
इसपर विचार कीजिए।

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25 APR AT 12:35

नेह की लगन मन हो रहा मगन,
प्यार अधरों को मेरे सजाने लगी
भोर की लालिमा साज श्रंगार कर,
कपोलों को मेरे सजाने लगी।
प्रेम के रोग से अब ग्रसित मैं हुयी
धड़कने भी गवाही सी देने लगी
दर्पन के सामने खुद को निहारा करूं
आंख कजरे में छुपकर शरमाने लगी।

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25 APR AT 8:37

प्यार का एक छींटा, सनम मारकर
चल दिए क्यूं अकेला, मुझे छोड़कर
क्यों सताने लगी ? मेरी नादानियां
दिल की धड़कन, बढ़ाती खामोशियां।

सागर के लहरों की, अठखेलियां
दिल की धड़कन बढ़ाती खामोशियां
रूक न जाये कहीं, सरगम सांस की
अब सताने लगी हमको, खामोशियां।
स्वरचित ✍️

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25 APR AT 7:48

राह हो कठिन पर
विचलित नहीं होना है
साथ न हो अगर साथी
मंजिल से पहले
रूकें नहीं कदम
विस्वास खुद में
जगाये रखना।

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22 APR AT 15:10

यादों का समन्दर हूं
गहराई बहुत है
चाहता हूं दिल से
तन्हा तो नहीं मैं।

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22 APR AT 15:08

यादों का समन्दर हूं
गहराई बहुत है
चाहता हूं दिल से
तन्हा तो नहीं मैं।

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22 APR AT 13:13

इश्क का दामन पकड़
फिर छोड देता है
रूसवाईयों के भंवर मे,
अकेले ढ़केल देता है।
मुहब्बत में फंसाकर
कत्लेआम है करता
जिस्म रौंद कर फिर
बोटी बोटी करता है।
इश्क में जालिम ने मेरे
टुकड़े टुकड़े कर दिए
आत्मा भटकती सभी से
कह रही होशियार रहना है।
स्वरचित ✍️

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22 APR AT 13:00

हर पल लिख रहा हूं
अपनी तन्हाईओं का
अंश,
जिंदा हूं जी रहा हूं
धड़कते दिल की दास्तां
तुमको सुना रहा हूं

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29 OCT 2023 AT 0:46

अंधेरा घना हो और चाहे हो मिलन की
प्रियतम को खोज रही विचलित हो नारी
बहक नहीं जाना तुम प्यार के अंधेरे में
तन की चंचलता मन पर न हो भारी।

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