Kneeshk Raaz   (Kneeshk raaz ❤️)
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ईश्क़ with UPSC 💞 & एक शिव प्रेमी 🚩
( परिश्रम और धैर्य इंसान को गुणी बनाता है। )
Joined 1 June 2020


ईश्क़ with UPSC 💞 & एक शिव प्रेमी 🚩
( परिश्रम और धैर्य इंसान को गुणी बनाता है। )
Joined 1 June 2020
20 OCT 2021 AT 9:50

2 घड़ी साथ में वक़्त बीतने से ईश्क़ पर कोई बादशाहत नही कायम होती।
वक़्त दर वक़्त आग में जल कर फिर उसे ही चाहो तो रूह को ईश्क़ मुक्कमल होगी।

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5 SEP 2021 AT 21:04

पता है, तेरे और मेरे में फर्क क्या है ?

मैं गुस्सा में भी तेरे हक में सोचता हूँ ,
और तू खुश रह कर भी सिर्फ अपने हक में सोचती हैं।

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1 SEP 2021 AT 23:50

राधे राधे लिखने के बाद शब्दों में पूर्ण विराम लग जाती है।
राधे के मगन मे राही को रास्ते का अवलोकन हो जाता है।
तद्पश्चात राही को किसी विशेष लक्ष्य की कल्पना नहीं होती।

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20 AUG 2021 AT 9:38

मैं ईश्क़ लिखता हूँ अपने चंद शब्दों की जुबानी।

पर ईश्क़ कर लूं असल जिंदगी में किसी से, वाकिफ़ जिंदगी का इतना बड़ा भी साहूकार नही हूँ।

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19 AUG 2021 AT 23:18

कभी खुद भी पढ़ा करो यू बिखरें पन्ने जिंदगी के,
हर चीज माँ-बाप की जुबानी नहीं मिलती।

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19 AUG 2021 AT 16:11

दिल-ए-बुज़दिली कोई नाकामी नहीं,
फ़क़त जान-ए-परवरिश कुछ ज्यादा ही रूह को डरा देती है।

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31 JUL 2021 AT 12:23

अभी गिरा नहीं हूँ चौकट पे, तुम बुजदिली कहो पर हिम्मत मुझ में बाकी है।

रास्तो से मंजिलो तक यहाँ गुमराह अभी बाकी है,
वक़्त परस्त हुआ है अपना ठिकाना,
पर तुम इसे बुजदिली कहो बाजुओं में जोश अभी बाकी है।

एक दिन पैरों पे खड़ा होवउँगा तोड़ा अभी डगमगाहट अभी बाकी है,
संघर्ष की बाजी लगी है मेरे दामन पे,
पर तुम इसे बुजदिली कहो अभी तो जिन्दा हूँ अभी स्वप्न अभी बाकी है।

शोर नही होगी मेरे हौसलो कि पर जिस्म में कतरा कतरा अभी बाकी है,
चुनोतियो के दामन ओढ़ रखे हैं हमने,
पर तुम इसे बुजदिली कहो इरादों के जश्न अभी बाकी है।

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27 JUL 2021 AT 8:36

जिंगदी जियो पर....
समेटो उसे किसी पन्ने में,

जब जान जाए तो....
पलट कर देखो उसे।

यहाँ अधूरे किस्से है महोब्बत के,

शायद...
पहचान जाए तुम्हे।

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27 JUL 2021 AT 8:24

पुराने लोग ईश्क़ करते थे न तो चलो हम उनका मसौदा तैयार करते है।

तुम बुजदिली कायम रखों, हम ही दिल-ए-ऐतवार करते है

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26 JUL 2021 AT 23:46

महोब्बत महोब्बत करते हैं लोग, महोब्बत कर लो तो ठिकाना बदलना पड़ता है।

कुछ फरमाइशें अपनी जद की दीवारों में हो तो अच्छा है, यहाँ ख़यामियाज कम भुकतना पड़ता है।

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