🦚जय श्रीराधेकृष्ण🚩
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📿ओम शांति🌸
🌄शुभप्रभातम🌻
💐 प्रणयप्रणाम🙏-
सत्य के साथ जीवन जीना
प्रेम में प्रेम दर्शन का
वास्तविक स्वरूप क्या है,
प्रेम में परमेश्वर दर्शन ही
प्रेम का वास्तविक स्वरूप है-
उत्सव का अर्थ जीवन के उन क्षणों से है,जिन
क्षणों में हम भीतर से प्रसन्न रहते हैं,
इसलिए सही अर्थों में समझा जाए तो प्रसन्नता
ही जीवन का सम्पूर्ण उत्सव है,
बहुत बड़ी धन संपत्ति या पद प्रतिष्ठा का अर्जन
भी प्रसन्नता का आधार नहीं है,
इसलिए सही मायने में धर्ममय,प्रेममय,
सत्कर्ममय जीवन ही प्रसन्नता का अर्थ है.-
मोह वश,वासना वश लोग,जगत में सब-कुछ
पाने की जद्दोजहद में निरंतर लगे हैं,
अपने को खोकर,बहुत-कुछ पाकर भी असंतुष्ट,
असमय जगत से चले जाने के लिए.-
कुछ लोगों के लिए ही तुम स्वार्थवश जीयोगे तो,दुख ही होगा,
तुम्हारी मर्जी का कुछ भी न होगा,सब सबकी मर्जी का ही होगा.-
नाराज़गी तो कभी रही ही नहीं किसी से,
माफ करने की अदा में जो नित्य रहते हैं.-
तन संबंध के विवाह,धन,पद,वंश के लिए विवाह,कईयों ने कई बार किये हैं,आज भी समाज में होते हैं.
किन्तु सत्यप्रेम परमेश्वरस्वरूप से अंतर्मन का विवाह,बस एकबार ही मरणोपरांत तक के लिए होते हैं.-
जिनका आपसे कुछ लेना-देना भी नहीं,
फिर भी आप उनकी शिकायत
करते हैं,सुनते हैं तो,
फिर तो आप विक्षिप्त हैं या फिर
आप अच्छे इंसान नहीं हैं.-