कुमकुम The JOY😇🌼   (Kumkum 🐚🌈👣)
186 Followers · 76 Following

read more
Joined 22 April 2020


read more
Joined 22 April 2020

एक-एक कर सब जाने लगे ,
और ये सर्कस बंद हो गया।


( Read in Caption )

-



मोहब्बत में भेजे गए वो तोहफ़े ,
निर्दोष थें जो मतलबी क़रार हुए
वो बेअसर रहे ख़ूब
और हम जां निसार हुए।
बताते भी तो कैसे कि मोहब्बत
अकल से नहीं रही उनसे
इसलिए उन गलियों में
दख़ल नहीं रही उनसे।
वो बताते रहे दूर रहने के फ़ायदे उनसे
हम इस पर भी लफ्ज़ कसीदे के
बुनते ही रहे उनसे।
हां , मानते हैं कि कई दफ़ा
मांगा है उनको उन्हीं से ,
पर वह माहताब भी जाने है
कि ख़ुद के लिए तुझे मांगने में
यह होंठ हर दफ़ा सिले।
और किस्सा यूं रहा कि हर साल मांगा
बस महबूब के हिस्से का चांद
गुजारिश में ,अदब में ,
और हिदायत में कि जल्दी मिले।
इंतजार है कब से उन्हें मोहब्बत हो किसी से ,
इस तरह मेरे रुख़सार भी खिल जाए खुशी से।
के जो मोहब्बत चाहते रहे हम
आख़िर वह उनको हो जाए किसी से
आंखों में मेरी मोहब्बत लिए
मोहब्बत पाए वो किसी से
और दे जाए किसी से।

-



देख ब्याहती तुलसी मां को ,
सबका हर्षित हो जाना।
अहा ! वहीं सुकुमारी तुम्हारा ,
बैठे-बैठे तत्क्षण को ही
स्वप्नों में ब्याहा जाना।
एक - एक रस्मों में मां के ,
ख़ुद को भी जोड़ा जाना।
देख ब्याहती तुलसी मां को ,
सबका हर्षित हो जाना ।।

अठखेली में कहते लोग ,
अब तू भी लाड लडाना।
ढोक लगा ले कसके मां को ,
बोल,,, अगले बरस
मेरा भी ढोला लाना ।
उस पल में मुस्कुरा कर भी
क्षण में वियोग से आना।
अहा!! कहां मिलता है सबको ,
मनचाहे मीत का पाना।

फिर उसी पल ही....
सुकुमारी तुम्हारा
गहरी सांस ले जाना।
अठखेली को अठखेली में ,
हंसकर जवाब दे जाना,,,
" तुम सब देखोगे ,
मेरा भी लाड लडाना।। "

-



( स्मृतियों का वह एक दिन )


Read in Caption

-



चलो मुक्त रहो तुम !
अपने वर्तमान और
तथ्यों के हिसाब में।

हमारी करवटों ने
भूत और भविष्य के ,
तकिए तले सर रखा है।

और यहीं से,,,
वर्तमान की सुगबुगाहट
बड़ी चतुर नज़र आती है।

जो मुझ मूर्ख के
समझ में कहां आती है!!

-



इस छटपटाते मन का
अचानक शांत हो जाना।
ऐसा प्रतीत हुआ ,
ख़ुद का श्याम हो जाना।
भेद बाकी ना रहा ,
कि मैं हूं कि श्याम मुझमें।
ओझल सा हो गया दर्द
और यूं आराम हो जाना।

-



सुना है....
इशारों में बात करना
सीख लिया उन्होंने भी।

शुक्र है....
मोहब्बत का तोहफ़ा
खाली नहीं गया ।।

-



और विदा होते वक्त उसका
थोड़ा झुककर माथे को चूमना.....
लगा जैसे -
बेधती उन उफनती लहरों को
किसी ने सुलझा दिया हो
और पहुंचा दिया हो शून्य में।
हां , वही अनंत ,,,
जहां सब स्थिर होता है।

-



दाख़िल करी जब
मोहब्बत की अर्ज़ी....

बाद ख़बर हुई के
सज़ा-ए-याफ्ता वो भी हैं।

-



यह भी मसला रहा ज़िन्दगी का बहरहाल,,,
जिनके लिए लाए गए बागीचा-ए-चमन से
वह सुर्ख़ गुलाब ,
उन्हीं से यह गुलाब उठाया ना गया।

भरी रही मोहब्बत बेइंतहा इस दिल में ,
पोशीदा इतनी रही के
उसी राज़ का पर्दा उठाया ना गया।

हर साल तोड़े गए
यह सुर्ख़ गुलाब उनके लिए ,
फिर मिलते रहे ख़ुद की ही
डायरी में छुपे अगले साल।

कमबख़्त , मोहब्बत इतनी रही के
इस पर भी किसी और के आगे
वह गुलाब बढ़ाया न गया।

इस तरह .... हर बार मोहब्बत भरे दिल से
और उसी बागीचा-ए-चमन से ,
उसी मोहब्बत के नाम का
वो सबसे सुर्ख़ गुलाब तोड़ लाया गया।

-


Fetching कुमकुम The JOY😇🌼 Quotes