'गांधारी माँ' पवित्र व पतिव्रता शिव भक्तोंनी महिला थी…
पर कुंती के विषय में, मैं कुछ नहीं कहना चाहता।...
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ओज और तेज की मल्लिका
हर कला में प्रवीण थी
कहाँ उसे किसी से मतलब
देश भक्ति में लीन थी
जिस उम्र में खेलते सभी
गुड्डे और गुड़ियों से
वो खेलती नाना संग
कृपाण और छुरियों से
नाना सीखते युद्ध कला
वो छिपकर देखा करती थी
बड़े ही तन्मयता से वो
उसको सीखा करती थी
सूर्य सा था ओज जिसमें
ऐसा शौर्य था भी किसमें
वो उन्मुक्त गगन की स्वामिनी
इतना धैर्य भी था किसमें
हाथी पर बैठना था मनु को
उसने ये जिद ठानी थी
तेरे भाग्य में हाथी कहाँ
नाना नेे बतलायी थी
मेरे भाग्य में एक नहीं
सौ हाथी हैं नाना
जिसने अपने भाग्य को भी
चुनौती दे डाली थी
जिसने कभी भी हार ना मानी
वो महारानी लक्ष्मीबाई थी..【भाग-२】
🚩क्रमशः🚩-
प्यार दो जिस्मों नहीं दो पवित्र आत्माओं
का मेल है तुम्हें वहम है कि
मेरी मोहब्बत में दम
नहीं होगी ।।
उसे रखूँगा छुपाकर आहोश में अपने ये
वादा है मेरा कि उसकी आंखें
कभी नम नहीं
होगी।।
अरे तुम जो चाहो सो कह लेना मुझे
मगर दोस्तों .......
अपने माँ-बाप को जो छोड़ कर मेरे माँ-
बाप का ध्यान रखेगी वो किसी
महारानी से कम नहीं
होगी।।-
गुलामी की बेड़ीयों में जकड़े भारत को
आज़ाद कराने वो आई थी,
सहासी,वीर,दुर्गा का रुप वो नारी थी,
मणिकर्णिका नाम था जिसका बन गई वो
महारानी झाँसी की।
संघर्ष से भरा जीवन उसका बाग था,
खौफ थी वो अंग्रेजी राज्य और उनकी विक्टोरिया का,
मातृभूमि ही पहला और अंतिम प्यार उस रानी का
थी वो स्वँय भूमी की जन्मी प्यारी बेटी।
रानी लक्ष्मीबाई झाँसी की,
आज इस आजा़द भारत की महारानी,
हमारे दिलों में हमेशा अमर रहेगीं।-
सभी महिला मित्रों को समर्पित ...
एक दिन की महारानी हमें भी बना दो
कभी तो गॄहणी दिवस भी मना लो
😊🌹😊🌹😊🌹😊🌹-
मैं सरकारी स्कूल में पढ़ा,
तुम CBSE की क्वीन प्रिये,,
मैं मटके का ठंडा पानी,
तुम फ्रिज की आइसक्रीम प्रिये,,
मैं घर की सादा चप्पल,
तुम ब्रांडेड शूज प्रिये,,
मैं घर का नालायक लड़का,
तुम घर की महारानी प्रिये,,-
तू आदि तू ही काली तू ही भवानी..!
हम पर कृपा करो महारानी..!
दूर करो संसार के इस कष्ट को..!
हे मां दुर्गा भवानी..!
पहले जैसा हंसता खेलता हो जाए यह संसार..!
ऐसी कृपा करो मां दुर्गा पार्वती के अवतार..!!-