जब से हमने चखी है मय इन मयखानों की .
कीमतें बढ़ सी गईं तेरी आँखों के पैमानों की .
लाख कर ले कोई दुआ सलामती की लेकिन ,
उम्र कभी बढ़ती नहीं है सीसे के सामानों की .
मेरी मोहब्बत की यह कस्ती डूबते ही देखो ,
लहरें भी देखिये अब उतर गईं तूफानों की .
आरज़ू आज है तेज़ बारिशों की महलों को ,
फिर खौफजदा हैं दीवारें कच्चे मकानों की .
राज की बात तो यह है "राज"जो भी कुछ है ,
सब रहमतें हैं यह मेरे शेयरों के कद्रदानों की .
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