QUOTES ON #मजदूरी

#मजदूरी quotes

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30 MAY 2020 AT 11:52

कितना आसान होता है न?
वातानुकूलित कमरे में,
मखमली सोफे पर बैठकर,
भरपेट डकार लेते हुए,
सुनहरी कलम से ,
धूप में चलने वाले,
भूखे,
प्यासे,
मजबूर पलायन करते हुए,
"मजदूर" लोगों पर कविता लिखना।

अनुशीर्षक में

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5 SEP 2021 AT 7:32

!! तू भी देख खुदा ये कैसा तेरा न्याय है!!

कितनी कठिन मेहनत है जिनकी और कैसा मिलता उस मेहनत का उन्हें फल है
क्या ये उनकी आज की मेहनत का फल नहीं या जुड़ा कर्मो से कल का पल है

देखी जो मैंने उन मजदूरों की मेहनत की मझबूरी को भुला ना पाऊँ कभी वो पल
वहीं कुछ ऐसी ख़ुशनसीबी किये बिना मेहनत के देखी ये कैसा किया तूने छल है

देखा मेरी इन आँखों से उनके बिखरे हालात नंगे पैर तपते है जो हर रैन सवेर को
वहीं कुछ ने तो सब में बस खुद की कीमत है देखी जो ना तपे किसी भी प्रहर को

जहाँ कुछ को अपनी आगे की पीढ़ी के लिए हद से ज्यादा बटोर के चलते है देखा
क्या उन मजदूरों के पैर नहीं ऐ खुदा तू बोल क्या तूने भी उनके लिए कुछ ना सोचा

ये कैसा दिखाया है उन्हें खेल किस्मत का और कैसी ये जताई तेरी उन पर मेंहर है
जो मेहनत ईमानदारी को अपना ईमान है समझे उन पर क्यों गिराता तू ये कहर है

जो मुझे उस एक पल कुछ दिखाया है तुमने तो हर पल वो सब तू भी देखता होगा
जब वो देख पल मेरा दिल रोया है तो उन्हें महसूस कर दिल तेरा भी तो रोता होगा

सुन खुदा तू दे दे उनको उनकी मेहनत का फल ना देख कुछ पिछले कर्मो का पल
तपते उनके रैन सवेर में ना कोई दिल पिघलता है साथ उसका परिवार भी जलता है

जब प्रारम्भ,अंतिम मंजिल दी है सब को एक समान फिर क्यों रखता कुछ बाकी है
मत भटकाओ ना उन्हें यूँ दर-दर उन पर बस तेरी रहमत-ऐ-तेरा दीदार ही काफ़ी है

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1 MAY 2021 AT 14:49

कड़कती धूप में पसीने बहा कर
मेहनत से अपने किस्मत लिखते हैं।

हम मजदूर हैं मजदूरी कर के खाते हैं
आराम कर हराम का नहीं।

सौभाग्य है हमारा
हम कर्म ईमानदारी से कर के
सुबह से शाम करते हैं।

हम मजदूर हैं मजदूरी कर के खाते हैं
आराम कर हराम का नहीं।

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14 NOV 2020 AT 12:39

गृहांगन पुलकित जन मन सब
जगजमाती धरा नीला अंबर,
है बाल मन का कोना तमस् में
जानकर अंजान न हो बे खबर,
बचपन मायूस बीता,निर्धनी तरबतर,
बाल मजदूरी मलवे में दबते पांव
धन गुमानी नहीं फंसे,मस्त मौला हैं बसर,
चाचा सजाते कोट में कलियों को
दशा का क्या करूँ उजागर?
स्वार्थ की मोटी खाल पर
अब नहीं होता कोई असर,,
चलो आशा का दीपक और जलाएँ
एक ही स्वर हो न्याय उनको दिलाएँ
दीपावली शुभ लाभ का पुण्य अवसर!!

दीपावली और बाल दिवस की
हार्दिक शुभकामनाएं और बधाई
14.11.2020

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9 MAY 2019 AT 21:10

पेट की आग ने मुलुक से दूर कर दिया वरना,
मेरा भी इक गाँव हुआ करता था बरसो पहले!

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1 MAY 2024 AT 20:48

"मज़दूर : एक निर्माता"

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31 DEC 2018 AT 14:39

पेट और परिवार के खातिर मजबूर है
शौक से नहीं हम तुम्हारे मजदूर है,
होंगे तुम करोडो रुपयों के मालिक
मगर सुन लो..

उस ईश्वर के दिए इस शरीर के मालिक तो हम भी जरूर है।

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1 MAY 2017 AT 10:35

कितने महीनों से लिखवा रहे हो बाबा
आज तो हमारी मजदूरी दे दो
लिखते रहे हम यहाँ रात दिन
पूरी नही तो अधूरी दे दो
ये कलम भी चाहती है एक दिन की छुट्टी
इसकी अर्जी को जरा मंजूरी दे दो

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18 JUL 2020 AT 22:40

"मजदूर"

जीवन सुखमय बीत रहा है,
इस युग में व्यभिचारी का।
गरीबों पर ही छाया संकट,
कोरोना महामारी का।

उनपर ही इल्ज़ाम है लगता,
बेईमानी और चोरी का।
मौका नहीं गंवाता कोई,
उनपर सीनाज़ोरी का।

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12 JUN 2017 AT 20:44

कितने सपने संजोये थे ,
सभी भीखर गए ।

पिता के गुजरने पे ,
बच्चे भी बड़े बन गए ।

बहन की शादी ,
भाई की पढ़ाई ।

माँ की दवाई ,
भूख से भिखलाये बहन ओर भाई ।

दूसरे के सपने ,
अब अपने बन गए ।

बाल मजदूरी करना ,
अब मजबूरी बन गए।

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