उसका दुख-मेरा सुख, ये खेल इंसा का यूँ गंदा होता है।
अपना समझे जो गैरों का दर्द, वो खुदा का बंदा होता है।
आजकल वो देखता है, सूरत भी हैसियत भी
"कौन कहता है" कमबख़्त, प्यार अंधा होता है।
दूसरों की जिंदगी से खिलवाड़ इश्क के नाम पे
अब तो ये बस, जिस्म-जिस्म का धंधा होता है।
मुमकिन नहीं मुकम्मल हों, सारे ख्वाब "नवनीत"
सच्ची मोहब्बत का हिसाब, थोड़ा मंदा होता है।
यूँ तो खुद का दफ्तर, आलीशान बनाता है वो नेता
पर बात जब मंदिर बनाने की हो, तो चंदा होता है।-
घंटे के शब्द में बसता-सा
ख़ुदा ही तो है,
अज़ाँ में गुनगुनाई है
गोविंद की मुरली कहीं...
कानों की जिरह छोड़िए!
दिल से ज़रा सुन लीजिए!-
रोज मंदिर में सुबह घंटी बजाते हैं, सोये ख़ुद हैं और भगवान को जगाते हैं ।
दान पेटी धर्म स्थलों में नहीं अस्पताल और स्कूल में होनी चाहिए ताकि जरूरतमंदो को इलाज और पढ़ाई में मदद हो सके ।-
बुत-ख़ाना तोड़ डालिए मस्जिद को ढाइए
दिल को न तोड़िए ये ख़ुदा का मक़ाम है-
मोहब्बत हमारी कुछ यूं मुकम्मल हो...
मस्जिद में भजन
और
मंदिर में अज़ान हो...
तेरे घर दिवाली
और
मेरे घर रमज़ान हो...-
वो कहा करती थी ,
मज़हब कभी बीच नहीं आएगा हमारे !
( पूरा लेखन अनुशीर्षक में पढ़ें 👇 । )
-
सुबह में मंदिर जाकर हाथ जोड़ लिया ।
दिन में मस्जिद में भी शीश झुका लिया ।
वो दो दिनों से बहुत भूखा था न साहेब,
इसलिए हर मजहब का कर्ज चुका दिया ।-
हमारा परिवार एक मंदिर है.....
बहुत सुंदर हैं,
इसे और सुंदर बनाओ..!
मन ऐसा रखो की,
किसी को बुरा ना लगे..!
दिल ऐसा रखो कि,
किसी को दुःखी ना करें..!
रिश्ता ऐसा रखो कि,
उसका अंत ना हो..!
हमने रिश्तों को संभाला है,
मोतियों की तरह..!
कोई गिर भी जाए तो,
झुक के उठा लेते हैं..!
सुख के तो साथी हजारों हैं,
यहां सब जीवन के आधार हैं..!
अपनों सा प्यार है यहां,
इसके लिए सब का आभार हैं..!
काम हो कोई तो बता देना,
इस परिवार में हर कोई तैयार हैं..!
सबको साथ जोड़ने के लिए,
सभी का दिल से आभारी हैं..!
बांटना है तो बांट लो ख़ुशी,
क्योंकि आंसू तो सब के पास हैं..!!-
'तिलक और टोपी' के दिल अब कुछ यूं जुड़े।
मंदिरों में इफ़्तार हो , मस्जिदों में गुलाल उड़े।-