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पाने के लिए उसे- "यज्ञ, हवन, मंत्र, पूजा" सब किया मैंने,
वो तो न मिली, मगर "रब" जरूर आ गया मिलने मुझसे ❤️-
जाने कैसे कमजोर हुआ, अपना ये गणतंत्र
इसे बचाये रखने का, कोई बताओ मंत्र
बनाया हमने जिन्हें मंत्री, देकर अपना मत
मिलकर संसद में वही, रच रहे षड्यंत्र-
क्या ये सच में हक़ीक़त हैं 'अभि' या हवा में किसी ने मंतर उड़ाया हैं।
कि वो जो सिद्दत की हद तक खूबसूरत हैं उसे मुझसे बेइंतहा इश्क़ कैसे हुआ? क्या ख़ुदा उसे खुद मेरे दर तलक लेकर आया है।-
प्रेम,
जिसमें पड़कर जाने कितने,
पुरुष सन्यासी हो गए।
उनके इस ईश्वरीय प्रेम,
के लिये प्रंशसात्मक कथन
सब मंत्र कहलाये ,
जो हमेशा के लिये अमर हो गए।-
मानवता ही मनुष्य का मूल धर्म है,
जिसके मूल मंत्र हैं -
सद्भावना, संवेदना, समर्पण,
स्वीकार्यता, सराहना, समर्थन,
सम्मान, प्रेम और आत्मीयता।
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शब्द रचते हैं कोई षड्यंत्र
और फूँक देते हैं मेरे कान में मंत्र
नींद हो जाती है रफूचक्कर
लिखने लगता हूँ जैसे कोई यंत्र-
कर दे न कोई जादू मंतर
मिट जाए मन के अंतर
मेरे सब रोग मिटे मैं फिर
पहले जैसी नजर अब आऊं
तू तो जाने सारे टोटके
इलाज कर दे थोड़ा हटके
दुनिया की नज़रों से बचके
कि पीहू पहलेे सी अब चहके-
देवून समाजास झाडूचा मंत्र...
शिकवले आरोग्य जपण्याचे तंत्र...
उघडले झोपल्या समाजाचे नेत्र...
त्यांचे थोर ते माणुसकीचे चरित्र...
झाडूने साफ केले क्षेत्र नी क्षेत्र...
जपले सदैव आरोग्याचे सूत्र...
सदैव हाती घेऊन झाडू हेच शस्त्र...
बदलले सार्या समाजाचे चित्र...
हा भारत मातेचा एक सच्चा पुत्र...
ना त्याने पाहिले कधी गात्र नी गोत्र...
सदैव झाकला हा समाज निर्वस्त्र...
कधीही समाज सुधारणा सोडून मात्र...
ना कधी मनी आले त्यांच्या काही गलितगात्र...
साधे, सरळ त्यांचे जीवन हे सचित्र...
असे हे थोर संत गाडगेबाबा भारताचे होते पुत्र...
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