QUOTES ON #भटकाव

#भटकाव quotes

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5 SEP 2020 AT 23:04

*16
#मिलन

तुम नदी के बहते जल सी
मैं कुयें का ठहरा जल सा
सुनो!
मिलन सम्भव है क्या??

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17 MAY 2021 AT 22:09



अजीब सा उलछाव है जीवन,
कभी धूप तो कभी छांव है जीवन,
इसे समझ पाना, नहीं बस में हरेक के,
एक अनकहा अहसास है जीवन ।


दिन के उजाले में, रात के तिमिर में,
पतझड़ के मौसम में, बरखा के जल में,
अजीब-सा अद्भुत भटकाव है जीवन ।

       ...............
..................... शेष है...

©Mridula Rajpurohit ✍️

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27 FEB 2020 AT 9:37

कभी कभी टकराव भी ज़रूरी है,
जो संभलना, समझना ही, नहीं चाहते उनके साथ,

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27 JUN 2021 AT 19:36

#29-06-2021 # काव्य कुसुम # भटकाव #
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शान-शौकत, तड़क-भड़क की युवाओं के जीवन में होड़ चल रही है।

भौतिकता की चकाचौंध आज युवाओं के जीवन को छल रही है।

जीवन की मधुर कल्पनाओं में भटक कर तड़फ रही है तरुणाई -

भटकाव की चुभन लिए आज देश की तरुणाई अवसाद में पल रही है।
============= गुड मार्निग ============

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20 JUL 2020 AT 23:03

यूं तो इरादे बहुत मजबूत है मेरे
बस सपनों में मैं भटक जाता हूं;

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कि जंगल में लकड़ी की तलाश में भटकता था
तो गनीमत थी!

यूँ आदमी का दिल किसी चाँद पर अटकता तो न था?
कि खोजता था फूल फल वहाँ पर
तो गनीमत थी!

यूँ हाथों में सूखी रोटी लेकर भटकता न था?
तो गनीमत थी!

कि खुदा की खोज में
निकलते-निकलते पाया था वो खुद को
तो गनीमत थी!

यूँ खंजरो की दुनिया में हथियार बन तो न था
कि जमी की तलाश आसमाँ पर अटकता था?
तो गनीमत थी!

कहीं यूँ बस्तियों मे धूप के लिए तरसता तो न था?

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9 JAN 2021 AT 13:32

इसका सफ़र बड़ा अंजाना सा लगता है,
राहों में मुसाफ़िर ये बेगाना सा लगता है।

किस परदेश से आया ये अजनबी शहर में,
जो मोहब्बत में भटका दीवाना सा लगता है।

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18 JUL 2018 AT 23:01

मेरे दिल का सूकून रास्ता भटक गया है कहीं,
तुमसे टकराए कहीं तो वापस दे जाना थोड़ा सा कीमती है।

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19 MAY 2022 AT 23:15

किसी की खातिर कोई कितना रोये
किसी की तलाश में कोई भटके कबतक
एक सीमा के बाद धैर्य भी हार जाता है
एक ही सीरत की घूंट कोई गटके कबतक
वो तो जिद पर अड़ी है दरवाजा खोलेगी नहीं
उसी के घर के सामने चैन मेरी अटके कबतक

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1 MAY 2020 AT 15:27

अगर तुम्हारा पूरा आचरण, आहार-विहार इस तरीके का है कि वो तुम्हें लगातार उत्तेजित करता है, तो फिर मन भागेगा इधर-उधर।

हमारा जो पूरा वातावरण है, वो ऐसा है कि मन पर लगातार प्रहार करता रहता है।

हमारे ऊपर जो प्रभाव पड़ रहे हैं, वो हमें ठहरने नहीं देते। वो हमें भटकने के लिए मजबूर करते हैं।

मन को ऐसा कर लो कि वो खुद ही जो कुछ अभी व्यर्थ है, उसमें पड़े ही ना।

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